ज्ञान चेतना के चार आयाम | Gyan Chetna ke Char Aayam

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gyan Chetna ke Char by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about ज्ञान चेतना के चार आयाम

Add Infomation About

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ज्ञान चेतना के चार आयाम 9 नौ मई रिट्लनेसि - श्री अरिछनेमि श्री नेमिनाथ हे स्वामीं को हा पासं श्री पार्धनाथ स्वामी को पार्श्नाथ हे तह तथा हि वद्धमाणं च श्री वद्धमान महावीर स्वामीको ही वंदामि मैं वंदना करता हूँ क एव इस प्रकार की मए मेरे द्वारा अभित्थुआ स्तुति किये हुए कक विह्य्यरमला पाप रज के मल से रहित पहीणजरमरणा बुढ़ापे तथा मरण से मुक्त दर तित्थयरा तीर्थ की स्थापना करने वाले चउवीसंपि चौबीसो ं जिणवरा जिनेश्वर देव मे मुझ पर पसीयंतु प्रसन्न हो ः कित्तिय वाणी से कीर्तन किये हुए वदिय काया से वंदना किये हुए महिया मन से पूजन किये हुए जे जो ल़ोगस्स लोक मे उत्तसा जत्तम सिद्ध सिद्ध भगवान है ए वे आरुग्गबोहिलामं आरोग्य अर्थात्‌ मोक्ष के लिये परभव मे सम्यक्त्व का लाभ और समाहिवरमुत्तम सर्वोत्कृष्ट भाव समाधि को दितु देवे चदेसु चन्द्रमाओ से भी निम्मलयरा विशेष निर्मल आइच्चेसु सूर्यो से भी अहिय अधिक पयासयरा प्रकाश करने वाले




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now