आराधना - कथाकोश भाग - 1 | Aradhana Kathakosh Bhag - 1

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Aradhana Kathakosh Bhag - 1 by उदयलाल काशलीवाल - Udaylal Kashliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आरधता-कथादोश मंगर ओर प्रस्तावना । 7 [ भव्य-पुरुपरुपी कमलेकि मुष्टि करनेके ५ छिये मुर्य हैं और छोक तथा अछोकके प्रकाशक दै-मिनके दारा संसारकी बस्तु मात्रका ज्ञान होता है, इन जिन भगवानको नमस्कार कर में आराधना कथाकोंश ना- ` मक ग्रन्थ दिसत ह | ॥ उस सरखती-जिनवानी-के लिये नमस्कार है, जो प्रधी रके पदाथोका ज्ञान करानेके लिये नेत्र है और मिंसके नाम॑- हीसे शाणी ज्ञानसुपी समुद्रके प्र पहुँच सकता ३-सर्वत हो सकता है। उन मुनिराणोंके चरणकमलोकों में नमस्कार करता हूँ, जो सम्यरशेन, सस्यस्ान और सम्यक्वारित्रस्पी रलोसे पवित्र हैं, उत्तम क्षमा, मर्व, आर्भव, सतय, रीर, ब्रह्मच आदि गुणोते क्त र थर शन्के सष रै।




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