प्यारे बापू | Pyare Bapu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अहिसक असहयोग की ओर १७
रनेवाले हिन्दसानी भाइयों झे कष्टां को देखने का
अवसर मिला |
इस तरह कै अन्यायं को सहन करना उनके लिए
दभर हो गया । प्रत्येक भारतीय ते गधीजी को सहयोग
देने का वचन दिया | यों गांधीजी पर भार बढ़ता गया ।
एक बार फिर श्रिटोरिया की गाड़ी में बेठने का
अवसर आया | अपनी जिद से इस बार भी गांधीजी ने
प्रथम श्रेणी का ही टिकट लिया। शाव को टिकट बाबू
टिकट देखने आये । उन्हें गांधीजी पर बहुत गुस्सा आया |
उन्होंने कहा ; “निकलों यहाँ से ओर जाकर तीसरे
दर्जे के डिब्बे मेँ वये ।
गांधीजी ने धैय क साथ उत्तर दिया: “धरं नहीं
जाऊंगा | पेरा टिकट पहले दर्ज का हैं |”
टिकट बाबू दुगुने जोर से चिल्लाया : “लेकिन में
तुमसे कहता ह क्रि तुम तीसरे दर्ज में जाओ |”!
यह पुराना-सा किस्सा हो गया |
सोभाग्य से उस डिब्बे में एक व्यक्ति और बैठा
णा | वह उटकर बोला: “टिकट बाबू, कृपा करके इन
साहब को बेठने दीजिये। थे ठीक कहते हैं । इनके पास
प्रथम श्रेणी का टिकट हैं। इसमें मुझे तनिक्क भी क्र
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टिकट बाबू हताश हो गये । “वाह ! में तो आपके
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