ब्रह्मपुराण | Braham Puran

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Braham Puran  by श्रीराम शर्मा आचार्य - Shreeram Sharma Acharya

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जन्म:-

20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)

मृत्यु :-

2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत

अन्य नाम :-

श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी

आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |

गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत

पत्नी :- भगवती देवी शर्मा

श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ ) [ ब्रह्मपुराण उत्त मी से उस समय में यही बोला था कि मैं अपनी पुत्री वी दे दू था । फिर इतके अनन्तर उरा महानु मतिमान वृद्ध मन्‍्च्री ने अपने स्वामी राजा से यहां गारर शूरपसेन के लिये वह विवाह सम्बन्धी सत्र समा: चार निवेदन कर दिया था ! फिर बहुत भ्राधक समय व्यतीत हो जाने' पर वहु बद्ध अमात्य वहा षर ग्नं करने कौ समुच्त हो गया था ॥३ -* ३६॥ फिर वेह पहली सेना के वल के साथ सज्जित होकर तथा वस्व बलद्भारो स विभूषित होकर अत्य सभी मन्वयं को साथमे सेकर बडी श्षीघ्रता से वहाँ गया था ॥४०॥ उस परम बुद्धिमान महाम्यि ने विवाद कर देने के लिये महाराज से सभी कुछ निवेदन कर বিষা ) यह्‌ महामात्य वृद था मीर अन्य सबियों से भी समावृत था ॥४१॥ अवा5घन्तु ने चाउगा(चेच्छ)ति शुरसेनस्य भूपते, 1 पुत्रों नागर इति स्यातों बुद्धिमान्गुणसागर: 11४२ क्षत्रियाणा विवाहाभ् भवेयुवेहुणा नृप । तस्माब्छस्त्रेरतकार विवाह स्पान्महामतें ॥४३ क्षत्रिया ब्राह्मपाश्व व सत्या वाच बदन्ति हि तस्माच्छस्नेरलका रैविवाहस्त्वनु मन्यतास 11४४ वृद्धामात्यवच श्त्वा विजपों राजपत्तम: | मेने वेकि तथा सत्यममरात्य भूपति तदा 11४५ विवेहुमकरोद्राजा मोगवत्या. सुविस्तरम्‌ ! शस्नेण च यथादास्तर प्रेषयामान् ता पुनः ॥॥४६ स्वानमात्यास्तया गाश्च हिरप्यतुरणादिकम्‌ \ ^ बहु दत्वाय विजयो टू्पेण मह॒ता युत, ॥*५. तामादायाथ सचिवा बृद्धामात्यपुरोगमा. । प्रतिष्ठानमथाम्येत्य शुरसेनाय ता स्तुपामू ॥४४ न्यवेदयस्तथोचुस्ते विजयस्य লা वहू । भूषणानि विचित्राणि दास्यो षस्व्ादिक्‌ च यद्‌ ।*५२ उस बुद्ध अमात्य ने कहा--- भूपति शुरसेन का पृत्र साग नाॉपरों विध्यात है और महान बुद्धिमान तथा गुणा छा सागर ह वह्‌ स्मय वहा




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