प्रेमचंद व्यक्ति और साहित्यकार | Prem Chandra vyakti Aur Sahityakar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
485
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ प्रेमचंद : व्यक्ति ओर साहित्यकार
कथा-काव्य के कुछ लक्षणों से युक्त नहीं है। इसलिए. वह ठीक-ठीक कथा नाम नहीं
पा सकती | जान .पड़तां है कि विद्यापति ने अपने काव्य को कथा से भिन्न श्रेणी की
रचना समझ कर उसे 'काहाणी!? कहा था। इसमें कथा के मुख्य-मुख्य लक्षण जाते
हैं और एकाघ लक्षण छूट जाते हैं। यह भी हो सकता है कि विद्यापति के দুত্র इस
कहानी नाम की अन्य रचनाएँ भी र्दी हौ, जिनकी सूचना दामोदर भद्र की पुस्तक सं
मिल जाती है। यहाँ उल्लेख योग्य-है कि विन्ापति की एक श्रन्य पुस्तक (कीतिपताकाः
है, जिसमें प्रेमकथा-वर्णित है | सम्भवतः विन्यापति ने कथा के दोनों उदेश्यो -- युद्ध
और प्रेम-- के लिए! अलग-अलग पुस्तक लिखी थी ! ( हिंदी साहित्य, डाक्टर
हजारी प्रसाद द्विवेदी, पृष्ठ ७४६ ) | जा
आधुनिक कथा-साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह गद्य में
लिखा जाता है। जेसा कि हम देख चुके हैं, इस संबंध में भी हर्षवर्धन के राजकवि
बारभटु की कादम्बरीः को ही अग्रणी मानना पडेगा, वह गद्यबद्ध भी है, ओर
उसकी विषयवस्तु कहानी भीहै । फिर भीहम बाणम की कादम्बरी को
आधुनिक अर्थ में उपन्यास नहीं कहेंगे, क्योंकि उसमें जिस प्रकार की आलंका-
रकि तथा वागाडम्बरपूर्ण भाषा का उपयोग हुआ है, उससे कोई भी उसे उस
श्रकार पढ़ कर सहज आनंद नहीं प्राप्त कर सकता, जिस प्रकार आज द्वाम में या
रेल में आधा घंटा बेठ कर लोग एक कहानी को पढ़ कर आनंद प्राप्त करते हैं ।
आधुनिक अर्थ में उपन्यास सहज निर्मल कलामय आनंद देने के लिए लिखा
और पढ़ा जाता है, अवश्य इसके साथ ही लेखक और भी बहुत से उद्देश्य सिद्ध
कर सकता है, करता है, और शायद उसे करना भी चाहिए, -- यहाँ हम इन तर्कों
में नहीं पड़ेंगे, किन्तु चाहे जिस प्रकार का उपन्यास हो उसकी सफलता इसी में
है कि पठृनेवाले को आनंद ` प्राप्त हौ ओर उस्ने उपन्यास को सममने के लिए
भत्येक पंक्तिमे न तो कोष उठा कर देखना पडे ओर न उसे बार-बार अलंकार
या समास-विशेषन्ञ की सहायता लेनी पड़े । इतना बता देने पर भी जिस अर्थं
मे धार्मिक पुराणों को तथा अन्य लोक-कथाओं को पद्चबद्ध होते हुए भी
आधुनिक उपन्यास का आदिपुरुष माना जा सकता है, उससे निकटतर अर्थ मे
बाणभट्ट की कादम्बरी को आधुनिक उन्यास का पूर्वपुरुष मानना पड़ेगा। 'अलिफ-
लेला' कौ कहानी भी इसी प्रकार आधुनिक उपन्यास कै पूर्वपुरुषो मे है, निन्तु
उसमे अलौकिक घटनाओं की भरमार है। धार्मिक साहित्य की अलौकिकता और
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