आत्मालोचन | Atmalochan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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No Information available about पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६)
दूज़ा दिन रे अर्थ औपधादिक अधिक जाच्या हुवे जाणी।
ते और घरे मेहछी ने भोगवियो तो, मिच्छामि टुकडं
पिद्ाणीरा ॥ मुनीश्वर आसखोयणा इम कीजे ॥ सर 1| ४३ ॥
इदयादिक चारित्र विपे, अतिचार निन्द आत्म साख ।
गहाँ करू देव गुरु नी साखसू| त्रिविध ३ कर दाखेरा॥
मुनीश्वर आल्ोयणा इम कीजे || स० ॥ ४४ ।।
तप आचार ते वार पकारे, अभिग्रह त्याग अनेको।
ते तप पिणै अतिचार छामग्यो हुवं ते, मिच्छामि हुकर्ड
चिशेपोरा ॥ मुनीश्वर आरोयणा इम कीजे ॥ स° ॥ ४५॥
मोक्ष साधक व्र पाल्ण विध मे, वठ वीय गोपवियो।
वीयं आचार विराधनो कीधी तो, मिच्छामि दुकडं
उर्वरा ॥ मुनीश्वर आलोयणा হুম कोजे ॥ स० ॥ ४६ ॥
वलि याद् करी करी करं आरोयणा,न्दाना मोटा अतिचारो।
पाप पंक् पत्वालीने निशल्थ हुवे, युक्ति साहमी चि धारोरा ॥
युनीशवर आटोयणा इम कीले ॥ स० ॥ ४७॥
पंच समिति तीन गुप्ति वि ज्ञे, पंच महाव्रत मायो ।
अतिचार छागो हुवे कोई तो, मिच्छामि दुकडं ताह्योरा ॥
मुनीश्वर आदोयणा इम कीजं ॥ स० ॥ ४८॥
गणयतिना वा संत सर्त्याना; अथवा गणना कोई।
अवर्णवाद वोल्या हुवे तो, मिच्छामि दुकड' जोरा ॥
मुनीश्वर आछोयणा इम कीौ ॥ स० ॥ ४६॥
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