सुकवि - संकीर्तन | Sukavi Sankeertan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
114 MB
कुल पष्ठ :
202
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गईं । यहाँ तक कि दोनो विद्धान् अंधों का पता জাল
अहसन, अल्कार-शास्त्र इत्यादि ग्रंथ उन्होंने प्राप्त किए । इसके
आतारक्त काश्मार से वह स्वय अनेक अल्भ्य अथ अपने साथ पहल
ही ले आए थे | जब वह बद्रिकाश्नम की ओर देशादन को गए थे
थे । जिन प्राचीन अंथों का पता पंडितजी ने लगाया, उनमें
कितने ही म्ंथ १००० वर्ष से भी अधिक पुराने हैं ; साव-आठ सो...
वर्ष के पुराने अंथ तो सेकड़ों डी हैं । ক উস ১৪৭
१८८४ ईसवी में, प्राचीन पुस्तकों के प्रकाशन के संबंध में, `
अकाशन के विषय में भी बात छिड़ी । फल यह हुआ
` अधिच्छारी जावजी-दादाजी के यहाँ गए, वहाँ तीनों व्यक्षियों की
खला से (काव्यमालाः-नामक मासिक पुस्तक निकालना मिरिचत =
इभा। यद १०० पृष्ठ की मासिक पुस्तक ३७ वर्ष से बराबर `
निकल रही हे । इसमे रेखे अपू श्राचीन प्रंथ छुपते हैं, जिनका `
देखना तो दूर रहा, नाम तक बहुलों ने न सुना था। 4
स प्रकार 'काव्यमाला' फे संपादन, अथो के संशोधन छोर `
साथ ही देश-पर्यटन च्म निकक्ञे, श्रार काश्मीर, पंजाब, बंगाल,
राजपृताना, गुजरात, मभ्य-मरतत ओर तेग इत्यादि देशो मे बहत
काल तक मण करके नाना अकार् कं काव्य, नाटक, भाण, चपू , ¢
तब भी वरहो से कितने ही हस्त-लिखित अनुपम अंथ खोज लाए.
पंडित दुर्गाप्रसाद बब गए । वहाँ डॉक्टर पिट्संन के स्थान
पर. उनसे. शोर पंडित काशिनाथ-पांडुरंग परब से मेंद हुईं। .
अनेक. विषयोः प्रर वातांलाप द्वोते-होते पुराने ग्रंथों के
कि पंडित दुर्गाप्रसाद ओर काशिवाथ निरयसागर-छापेख़ाने के ` 1
जद एक. | ূ চা
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