मिथक और स्वप्न कामायनी की मनस्सौंदर्यसामाजिक भूमोका | Mithak Aur Swapn Kamayani Ki Manassaundaryasamajik Bhumika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मिथक और स्वप्न कामायनी की मनस्सौंदर्यसामाजिक भूमोका  - Mithak Aur Swapn Kamayani Ki Manassaundaryasamajik Bhumika

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रमेश कुंतल मेघ - Ramesh Kuntal Megh

Add Infomation AboutRamesh Kuntal Megh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
হিরা 3६०२ . ~~ ४ ^ ५. ^ ^ ^ ८. টি ९ कारा #ी एप 7 कपरणनीः अपनी मानसित्र वैयतिकताओं ( मैंटल प्राइवेसोज़ ) को, वैयक्तिक 'औ के धरातल पर, अभिव्यक्त करने ফী হাত प्रतीकात्मक चेष्टाएँ तो वादी बवियो ने हो शुरू को । इसका परिणाम यह हुआ कि भाव एवं पर, प्रहति भौर वम्तुएे प्रतीको (5१ 7166}9) तषा विव (11128265), धारणाम ( 60166015 ) तया सकेतो ( 315 ) मे सषतिरित हीने । प्रसाद ने भामता' (१९२६) मे, पत ने “ज्योत्सना' (१६३४) मे, और লা ন 'जूही की कली' (१९१६) मे रोमाटिक अभिव्यस्गना-प्रणालियों के ४ प्रयोग किये । इस प्रारम्भिक परीका-जैसी रचनाओ में मानसिक अनुभवों 1 एक भोलाभाला बचपन है जिसकी अभिव्यक्ति के लिये झौने, कृत्रिम एवं आय कशातन्त भी बने-काते गये ॥ शत सानतवीसकरण /0०/९०४०११००1६/७ ४




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now