मिथक और स्वप्न कामायनी की मनस्सौंदर्यसामाजिक भूमोका | Mithak Aur Swapn Kamayani Ki Manassaundaryasamajik Bhumika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
234
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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7 कपरणनीः
अपनी मानसित्र वैयतिकताओं ( मैंटल प्राइवेसोज़ ) को, वैयक्तिक
'औ के धरातल पर, अभिव्यक्त करने ফী হাত प्रतीकात्मक चेष्टाएँ तो
वादी बवियो ने हो शुरू को । इसका परिणाम यह हुआ कि भाव एवं
पर, प्रहति भौर वम्तुएे प्रतीको (5१ 7166}9) तषा विव (11128265),
धारणाम ( 60166015 ) तया सकेतो ( 315 ) मे सषतिरित हीने
। प्रसाद ने भामता' (१९२६) मे, पत ने “ज्योत्सना' (१६३४) मे, और
লা ন 'जूही की कली' (१९१६) मे रोमाटिक अभिव्यस्गना-प्रणालियों के
४ प्रयोग किये । इस प्रारम्भिक परीका-जैसी रचनाओ में मानसिक अनुभवों
1 एक भोलाभाला बचपन है जिसकी अभिव्यक्ति के लिये झौने, कृत्रिम एवं
आय कशातन्त भी बने-काते गये ॥ शत सानतवीसकरण /0०/९०४०११००1६/७ ४
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