मिथक और स्वप्न कामायनी की मनस्सौंदर्यसामाजिक भूमोका | Mithak Aur Swapn Kamayani Ki Manassaundaryasamajik Bhumika

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Mithak Aur Swapn Kamayani Ki Manassaundaryasamajik Bhumika by रमेश कुंतल मेघ - Ramesh Kuntal Megh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হিরা 3६०२ . ~~ ४ ^ ५. ^ ^ ^ ८. টি ९ कारा #ी एप 7 कपरणनीः अपनी मानसित्र वैयतिकताओं ( मैंटल प्राइवेसोज़ ) को, वैयक्तिक 'औ के धरातल पर, अभिव्यक्त करने ফী হাত प्रतीकात्मक चेष्टाएँ तो वादी बवियो ने हो शुरू को । इसका परिणाम यह हुआ कि भाव एवं पर, प्रहति भौर वम्तुएे प्रतीको (5१ 7166}9) तषा विव (11128265), धारणाम ( 60166015 ) तया सकेतो ( 315 ) मे सषतिरित हीने । प्रसाद ने भामता' (१९२६) मे, पत ने “ज्योत्सना' (१६३४) मे, और লা ন 'जूही की कली' (१९१६) मे रोमाटिक अभिव्यस्गना-प्रणालियों के ४ प्रयोग किये । इस प्रारम्भिक परीका-जैसी रचनाओ में मानसिक अनुभवों 1 एक भोलाभाला बचपन है जिसकी अभिव्यक्ति के लिये झौने, कृत्रिम एवं आय कशातन्त भी बने-काते गये ॥ शत सानतवीसकरण /0०/९०४०११००1६/७ ४




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