कर्त्तव्य कौमुदी | Kartavya-kaumudi
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
560
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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० 'छोर्थातू-कतच्य -मार्ग दर्श ऋ- ज्योति है, तथा प्रतिकूंल पथ
परं चलने वाल्नों'फो छुपधांरने वाला चाबुऋ है। ऐसे कर्तव्य
कम के संकेलन कर्ता अनुभव प्राप्त शताधधानी' पं० घुनि श्रौ
1 १००८ श्री रलचन्द्र जी महाराज की अद्वितीय चिद्वता तंथा
4 उनके उच्च और विशाल विचार सब लोगों पर प्रगट हैं.
4 आपने इन शुभ उद्देश्योंका आदेश रेप “कर्तव्य कौमुदी
५ रूपी श्रन्थ ( संसत) मे छोर बद्धं तथा गुज्ञराती मषामें
` उखका.भावोथे' लिखकर जन समाजे को षडा उपरत किया
है: और भ्रीयुत 'खुश्नीत्गाल जी बरद्ध॑मान जीं शादः( गुजराती
माषा के अनेक भ्रन््थे के लेस्तक ) ने इसे संवे. मान्य बनाने के £
लिये 'अनेक : धमं अन्धों के आधार पर शुज्ञराती भाषा মী |
उसका विवेचन किया है। घुनि जी महाराज ने मानवं जीवन ६
को सर्व समुन्नंत' बनांने के' लिंयें, जिन २ कंतेब्य कर्मो की
पर भावश्यकतों है उनको सवं ` सारान्य ` और विशेष रूप से
बड़ी ख़्वी थ सरंलता से इस भन्थ में'बतल्लाते हैं, इंसी से यद्द
अन्थ ' केवल स्त्री, पुरुषों. को दी नहीं. वरन् बालकों फो भी
शलुपम -उपदेशे देने वाला दैः 'इसे “अन्थ- के 'ध्थम खदद
में सामान्य फंतव्य,.>देखेंरे में विद्यार्थियों ' को ` कतव्य,
ओऔर জীভ में ग्रहंथः फा कर्तव्य बतलाया दै, यह अन्ध
प्रत्येक मत, धर्म जांसिं,. देश तथा काल के मनुष्य मात्र , |
फे लिये संमान रूप से बहुत उपयोगी और माननीय दहै । (
खंक्लार्भं रद कर मद्धष्य जन्मःको लकली भुतं करने `का धक
मार्ग सागारी धर्म है जिले गृदख -घर्म मी. कदेते दै वड भ्रर्थ 4
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