कर्त्तव्य कौमुदी | Kartavya-kaumudi

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Kartavya-kaumudi  by मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज - Muni Shree Ratnachandraji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(^ १५ ) 11720, 1১০ 2262 11660022189). 2. 190. 70 01092911179 21176 210 ६9 90:07, ० 'छोर्थातू-कतच्य -मार्ग दर्श ऋ- ज्योति है, तथा प्रतिकूंल पथ परं चलने वाल्नों'फो छुपधांरने वाला चाबुऋ है। ऐसे कर्तव्य कम के संकेलन कर्ता अनुभव प्राप्त शताधधानी' पं० घुनि श्रौ 1 १००८ श्री रलचन्द्र जी महाराज की अद्वितीय चिद्वता तंथा 4 उनके उच्च और विशाल विचार सब लोगों पर प्रगट हैं. 4 आपने इन शुभ उद्देश्योंका आदेश रेप “कर्तव्य कौमुदी ५ रूपी श्रन्थ ( संसत) मे छोर बद्धं तथा गुज्ञराती मषामें ` उखका.भावोथे' लिखकर जन समाजे को षडा उपरत किया है: और भ्रीयुत 'खुश्नीत्गाल जी बरद्ध॑मान जीं शादः( गुजराती माषा के अनेक भ्रन्‍्थे के लेस्तक ) ने इसे संवे. मान्य बनाने के £ लिये 'अनेक : धमं अन्धों के आधार पर शुज्ञराती भाषा মী | उसका विवेचन किया है। घुनि जी महाराज ने मानवं जीवन ६ को सर्व समुन्नंत' बनांने के' लिंयें, जिन २ कंतेब्य कर्मो की पर भावश्यकतों है उनको सवं ` सारान्य ` और विशेष रूप से बड़ी ख़्वी थ सरंलता से इस भन्थ में'बतल्लाते हैं, इंसी से यद्द अन्थ ' केवल स्त्री, पुरुषों. को दी नहीं. वरन्‌ बालकों फो भी शलुपम -उपदेशे देने वाला दैः 'इसे “अन्थ- के 'ध्थम खदद में सामान्य फंतव्य,.>देखेंरे में विद्यार्थियों ' को ` कतव्य, ओऔर জীভ में ग्रहंथः फा कर्तव्य बतलाया दै, यह अन्ध प्रत्येक मत, धर्म जांसिं,. देश तथा काल के मनुष्य मात्र , | फे लिये संमान रूप से बहुत उपयोगी और माननीय दहै । ( खंक्लार्भं रद कर मद्धष्य जन्मःको लकली भुतं करने `का धक मार्ग सागारी धर्म है जिले गृदख -घर्म मी. कदेते दै वड भ्रर्थ 4




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