दलितोद्वार पर कुंवर चांद्करण शरदा का भाषण | Dalitodwar Par Kunwar Chaandkaran Shardaa Ka Bhashan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)$ ओश्मू #&
आय्यवीर् की प्रतिज्ञ ।
कमवीर वति आय्येभूमि कां भार उठाऊंगा।
तेजखी वलवान् वर्नूगा श्रुत भीम समान ।
खामी दयानन्द लेखराम सम करू आत्म-वलिदान ॥
देश का भक्त कहाझुगा ॥
५1
श्रनिड हो, दुखसमुद्र हो, भ्याधा वरी विशाल ।
हट नहीं पीछे फिर भी में हैं भारत का लाल ॥
काल से भी मिद् जाञ्गा॥
मात तात निज भात त्यागिहों अरु त्यागो जलपान ।
ছু লব নিজ त्यागो नहीं चाहे निकले तन सो प्रान ॥
सत्य ही मित्र बनाऊँगा ॥
देश देश अर भ्राम ग्राम में करिहों धर्मे-प्रचार ।
बिछुड़े हुये निज़ भ्राटगणों से मिल्िहों भुजा पसार ॥|
গু को अपनाऊँगा ॥
User Reviews
No Reviews | Add Yours...