हास्य-मंजरी | Hasya Manjari

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Hasya Manjari by हरिशचन्द्र व्यास - Harishchandra Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर इसके बाद यह लापता हो गया। कलक्तते के म्यूजियम म॑ इसका प्लास्टर का माडलरखा हमरा है 1 पता नही यह लाया इस झ्रादमी के पास कुँसे श्राया 1 म्मूृजियम वाला को पताचनेतो षसौ दामदकरसरीदनेजाय। इस विवरण को सुनते-मुनते साहब की आखा पर लोभ और आश्वय वा ऐसा प्रभाव पडा कि वे कोड़ी के आकार से बढकर पकौडी क हां गप । उसने विलवासी जी से पुझा-- तो आप इस लोदे को लेकर क्‍या करिए? * मुझे पुरानी रौर एतिहासिक चोजो के मयट्‌ करने का शौक दै 1 *मुझे भी पुरानी और ऐतिहासिक चीजों ন सग्रह करन का पौक है। जिस समय यह लोटा मर॑ ऊपर गिरा उस समय मैं यही कर रहा ঘা। उस दुकान पर से पीतल की बुछ पुरानी मूतिया सरीद रहा था। * जो छुछ हो लाटा मैं ही खरोदू गा ।” “লা श्राप कसे खरीदेग ? मैं खरीदू गा । मेरा हक ই। “हक ? जरूर हक है । यह बतलाइये कि उस लीट के पानी से आपने स्नान क्थाया मैंने २ + आपने 7 बह आपके परो पर गिरा या मेरे ? आपक। अगूठा उसने आपका भुरता किया या मेरा २” आपवा 1 इसलिये उसको खरीदने का हक मेरा है ) यह सब कोल है । दाम लगाइये, जो भ्रधिष॒ दे वह ले जाय। १५




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