जैनागम थोक संग्रह | Jainagam Thok Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
812
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मव् तच्च (७)
२ उसका देश, हे तथा उसका प्रदेश, ४ अधमांस्तिक्ाय
का स्कंघ, १ देश तथा ६ प्रदेश, ७ आकास्ति काय का
स्कंध, ८ देश तथा & प्रदेश, १० काल ये १० भेद
अरूपी यजीव के, १ पुद्रलास्वि काय कारस्करः २ देश
तथा शे अदेश-तीन तो ये ओर चोथा परमाणु पुद्ठल एवं
चार भद रुपी अजीव के मिला कर अजीव के १४ भेद
हुतरे !
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विस्तार नय से अजीब के ५६० भद्-
©
ঠ ३० मद अस्पी अजीव के-? धर्मारेत काय,
द्रव्य से एक, २ क्षेत्र से लोक प्रमाण, ३ काल से आदि
अत रहित, ४ भाव से अरुपी, ५ गरुय से चलन सहाय ।
६ अधमाोस्ति काय द्रव्य से एक,७ क्षेत्र से लोक प्रमाण,
८ काल से आदि अत रहित & भाव से अरुपी, १० गुण
से स्थिर सहाय, ११ आाकास्ति ऋष द्रव्य से एक,
१२ क्षेत्र से लोकालोक प्रमाण, १३ काल से आदि अत
२हित, १४ भाव से अरुपी, १४ ঘুষ से अवगाहनादान
तथा विकाश लक्षण, १६ काल द्रव्य से अनंत, १७ क्षेत्र
से अढ़ी दीप प्रमाण, १८ काल से आदि अत रहित,
१६ भाव से अरुपी, २० गुण से वतेना लक्षण, ये २०
ओर १० भेद ऊपर कहे हुवे इस प्रकार छुल ३े० भेद
अरुपी अजीब के ह॒वे ।
-* ~~
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চপ জিত 2 ই 5 न
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