महात्मा शेखसादी | Mahatma Shekhasadi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया। उनक
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ ঘি
पाजेनके लिये बग़दाद जा रहा ह' मेरे पास शरीरपरके कपड़ों
ओर इस कुश्ञानके सिदाय और कुछ नहीं है । यदि जी चाहे
तो इन वस्तुभो' को ठे जो, छेकिन कृपा करके इनका दुरुपयोग
লন करना $ किकी गरीब विद्यार्थीको दै देना) सादीके इस
'कथनका यह असर हुआ कि डाक् लज्जित हो गये ओर सर्देचके
लिए इस कुमार्गको छोड़नेका संकदप कर लिया। उनमेसे दो
आदमी सादीकी रक्षाके छिए साथ चले। सहृष्यव॒हारमें फिदवा
अभाव है, यह इस घटनासे भलीभांति प्रमाणित हो जाता है।
উদ্দিন इंश्चवस्को यह स्वीकार था कि इस यात्रामें सादीको ईए्द-
रीय न्याय ओर द्ण्डक। अनुभव हयो जाय । उनक्ते दोनो साथि-
यो में एकको तो सांप काट खाया। ओर दूसरा एक पेड्परसे
गिरकर मर गया। दोनों ने बड़े कष्टसे एड़ियां रगड़ रगड़कर
जान दी | उनके जीवनके इस दुष्परिणामने सखादीके हृद्यपर गहरा
असर डालछा। उन्होने निश्चय कर लिया क्ति कमी किसीको
कष्ट न दू गा, यथासाध्य दूसरोंके साथ दयाका व्यवहार करूया |
बग़दाद उस समय तुकं खाघ्राज्यकी राजधानी था | मुखछ-
मानोने चसरासे यूनानवक विजय प्राप्त कर छो थी और सस्पूर्ण
शियाहीमे नदी, यृतेपमे भी उनका सा वैभदशाली और कोई
राज्य नहीं था। राजा विक्रमादित्यके समयमें उज्जैनकी अर
मोय्यचंशके राज्य-कारूमे पाटलरिपुत्रकी जो उन्नति थी घही इस
'खम्रय चग़दादकी थी। बग़दादके बादशाह ख़लीफ़ा कहलाते
थे। रोनक़ ओर आबादीमे यह शहर शीराज़से कहीं चढ़ा बढ़ा
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