घरों की सफाई | Gharon Ki Safai

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Gharon Ki Safai by गणेशदत्त 'इन्द्र ' - Ganeshdatt 'Indra'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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খু ६ -- *.. गाँव ५ होता है । इसलिए उनके पतले. गोबर की জল दूर कीचड़ मच जाती है.। हरीघास, पतला गोबर और जानवरों का पेशाब मिल +करः बड़ी शिनौनी हालत दोःजाती है) वहाँ दुगन्ध उठने लगती है, खड़ा नहीं रह्य जा सकता | आँखों से देखने में ,नफ़रत:पैदा होती है। गोबर, मूत और वरसात-के जलन से मिला- हुआ ' कीचड़-बाड़े में जहाँ तहाँछोटे-छोटे. गठ्ों में भरा:संड़ा करता है। उन पर मच्छर और मक्खियाँ उड़ती और अरडे देवी रहती हैं ॥ इस ग्रन्दगी के कई कारण हैं--- (१ ) उसे दूर करने में आल्स्य | - (२,) उससे होनेवाली हानियों से वेखबरी | (३ ) खेती के काम से फुरसत न मिलना । (४ ) ग़रीबी । ऐसा तो कोई भी नहीं है जो जान बूककर अपने लिए तकलीफ मोल ले । और किसानों को इसं गन्दगी के हटाने के तरीके वता दिये जवि तो, वे जरूर सुखी हो सकते दहं) परन्तु जों उपाय बताये जावे वे सीधे-मादे न्नौर कम खर्च के.हों । क्यों ५ कि भारत के किसानों की गरोबी हद दर्ज की है। करोड़ों किसान ইউ ই জিল্ই दोनों वक्त सुग्बा रूखा अन्न भी खाने के लिए नहीं मिलता !!! 0) | , | वाड़े की सफाई का सबसे अच्छा उपाय यह है कि ढोरों को खुला न रखा जावे । उन्हें एक कतार में ठीक तरह से बाँधा जाबे, जिससे सभो पश्ञ अपना गोबर और मूत्र एक ही ओर कर सकें | घ की तरफ़ जमीन कुछ ढाल रखी जावे




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