आध्यात्मिक पत्रावली | Aadyatitmk Patravali

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Book Image : आध्यात्मिक पत्रावली  - Aadyatitmk Patravali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १० ] खारित्र का होना फोई नियम नहीं । शेष आपके स्वास्थ्यसे हमें आनन्द दें | धीयुत प्रशममूर्ति चन्दाबाईजी योग्य इच्छाफार, इस आत्माफे अन्तरंगमें अनेक प्रकारको कटपनाए उदय होती है मौर वे प्रायः बहु भाग तो ससारके कारण ही होती हैं बही कहा टै संकल्प कल्पतरु संश्रयणाचदीयं, चेतो निमज्जति मनोरथ सागरेस्मिन्‌ । तत्रार्थस्तव चकास्ति न किड्चिनापि; पक्षेपरं भवसि कल्मष संश्रयस्य ॥ यह ठीक है परन्तु ज्ञो ससारके स्वरूपको गतगत कर आशिक मोक्षमार्गमें प्रवेश कर चुके हैं. उनके इन अनुखित भावषोंका उदय नहीं होना ही आशिक मोक्षमार्गका अनुमापकर है । भनव्रतीकी अपेक्षा बतीके परिणामों मे निमंरुता होना स्वाभाविक है। आपकी प्रवृत्ति देखकर हम तौ भ्रायः शान्तिका ही अनुभव करते हैं। साधु समागम भीतो बाह्य निमित्त मोक्षमर्ग्मे है। मतो साघु मात्मा डलीको मानता टइ्व जिसके अभिप्रायमें शुभाशुभ प्रबुत्तिमें श्रद्धा से समता आ गई है। प्रद्नत्तिमें सम्यश्शानीके शुभकी ओर ही अधिक चेष्टा रद्दती है, परन्तु लक्ष्यमें शुद्धोपयोग हैं। चि० निर्मलबांयूकी मा साहबको अब एकत्त्व भावनाकी ओर ही




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