श्री तत्वसुत्रम | Shree Tatv Sutram
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
843 KB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तत्यसूत्रम { ॐ 3)
प्रत्मप न है| ते। सामान्य विशेष वरुप रहित हा जाव गे ।
अत सत् समम् स्वरुप भी है।
श्रनेकप् १1१०
যন आधार दृष्टि से दरा तो सत् रपट सवं ण्ड
नहा है, पति परलय शर है, पान् जितने द्रव्य है उतने
मद्वरूप् परां है । एव द्रव्य और अन्य द्वव्प আৰ
रास मे यत् डु नहा है । সামার सत्ता चली दि यह
हीर) यलि सन् सरवेया एस माना ताय तो जो एफ सतूस
प्रिणमन है वही सर्यश्र परिणमन हो जायगा सो तो प्रत्यक्ष
पिरुद्र है। किंतु जितना जो प्रब्य है उतना वह सत् है
एमी प्रतीति म वृश्च भी पिश्डनहाहे । जैस धात्मा एक
হন্ধ রত লন ই বী গালাল জী मुख दु ख गिचास्थादि
परिशमन होता है वह सर्यप्रदशी होता है तथा उस आत्मा
से बाटर नही होता । परमाणु मे भा यहां व्यवस्था है नो उस
मे रुपादि परिण्मन होता है यह समस्त एफ्प्रदशी पर
माएुमे होता है । अन परिणमन पिभिन च मिभिनेजातीय
होने पद्रव्य अनेर हैं इसी यारण सन् भी अनेर हैं।
क्षणिक्म् १।११
चह सन् चणिए है यहा पर्यीय दृष्टि हो मुरयता है
अतिचण पयारा अन्य ० होती है, एफ क्षण दी
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