वंशानुक्रम विज्ञान | Vanshanu Karam Vigyan

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Vanshanu Karam Vigyan by श्री शचीन्द्रनाथ - Shri Sachindranath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डारविन, गैस्टन, मेन्डेल के आविष्कार १९, और उनके तात्पर्यों को ठीक-ठीक समभ लेना आज अत्यन्त कठिन बात हो गई है। हमें यह भी स्मरण रखना उचित है कि वैज्ञानिक क्षेत्र में किसी सिद्धान्त के हम अन्तिम निर्णय के रूप में नहीं अ्रहण कर सकते । वंशानुक्रम-विज्ञान के सम्बन्ध में भी यही बात कही जा सकती है। तथापि इस विज्ञान की इतनी उन्नति हुई है कि यदि सामाजिक क्षेत्र में इसका उपयुक्त प्रयाग हो ता समाज का प्रभूत कल्याण होगा । सर _फ़न्सिस गैल्टन ( १८२२-१६११ )--डारविन के पश्चात्‌ उनके चचेरे भाई गैल्टन महोदय ने हो आधुनिक वंशा- नुक्रम-विज्ञान को जन्म दिया । डारविन के “अऑरिजिन आफ स्पीसोज़” नामक ग्रन्थ में, प्राणियों के सम्बन्ध में जितनी वंशा- नुक्रम की बातें मिलीं; उन्हीं तथ्यों का प्रयोग गैल्टन ने मनुष्यों के सम्बन्ध में किया ।. विशेष-विशेष परोक्षाओं में छात्रों ने जैसे-जैसे नम्बर प्राप्त किये उनकी तुलना करके मैल्टन ने यह प्रमाणित किया कि जड़ पदार्थों की गति आदि, जैसे गणित शास्त्र के नियमा- घीन रहती हैं, उसी प्रकार मनुष्यों को मानसिक शक्ति का विकास भी, गणितशास्त्र के नियमों से बैंधा हुआ है। गैस्टन ने यह प्रमाणित कर दिखाया है कि अधिकांश मनुष्यों की मानसिक शक्ति को गिनती मध्यम श्रेणी में है। यदि इस मध्यम श्र णी के पक व्यक्ति को मानसिक शक्ति के साथ उसी समाज के एक प्रतिभावान्‌ व्यक्ति की मानसिक शक्ति की तुलना की जाय तो यह देखने में आता है कि साधारण व्यक्ति च्औौर प्रतिभावान्‌ व्यक्ति के बीच मानसिक शक्ति का जितना व्यवधान है, और इनके बीच जैसे क्रमश: उच्च से उच्चतर शक्ति का विकास देखने में आता है उसी प्रकार, यह भी देखने में आता है कि उसी समाज के एक निकट तम व्यक्ति की तुलना, एक मध्यम श्रेणी के व्यक्ति के मानसिक शक्ति के साथ करने पर, इन दोनों में भी ठोक प ह्ले




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