संक्षिप्त - जैन - इतिहास भाग - 3 | Sankshipt - Jain - Itihas Bhag - 3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रड আলি अनुदर शुद्ध ९४५ २० अनृदी অনুহী १४६ १० कबितासू * कविता सी १५ শা 055 {10236६४ * १ 14.8६५ 58748 १४९ १५ नानक नामक + ९३ कात्क्भतो कान्य ममज्ञो १५० १६५ £ > ५५२ ९३ रपति उन्नति १८ आश्रम आश्रय १५४ ৭ धी थ १५९ २? वृषा ८.1 ५२ 1215০ 198० ११२ ५१ 1009 11 १६६ १० पक्षिगों चह्षियाँ नान मल्निकामार गान्तीसो का वणन १० १५३ पर ठाऊ दिया ই। प्र० २१ पर ना पहना चाहिए।




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