धन्वंतरि वनोषधि विशेषांक भाग - 3 | Dhanvantri Banoshdhi Vishasank Part-iii
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45.16 MB
कुल पष्ठ :
548
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गंगाप्रसाद - Gangaprasad
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वैद्य देवीशरण गर्ग - Vaidh Devisharan Garag
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे
११० वेद्यकीय खुभापितावली--डा० प्राणजीचन मागैकचन्द मेहता । वेद से लेकर वै्यजीवन घ्ंथ तक में
आये हुए आयुर्वेदिक सुभाषितों का संग्रह । मूल संस्कृत, अग्रेजी अजुवाद सहित २-००
बुदूद वैद्यजीवनसू--भभिनव सुधा हिन्दी टीका टिप्पणी सहित । टीकाकार--श्री कालिकाचरणचास्त्री शु-मण
१५२ चेदासहचयर--आयुर्वेदाचार्य श्री विश्वनाथ द्विवेदी । लेखक के ४० वर्षों के छाभग्रद सिद्धयोगों का संग्रह ३-००
११३ व्यचहारायुवेद-चिषविज्ञान-अरद्तन्त्र-डा० युगल किशोर गुप्त एवं डा० रमानाथ द्विवेदी एू-9०9
११४ झाद्य प्रदीपिका--( सचितन्न ) डा,» सुकुन्दस्वरूप वर्सा । शत्यविज्ञान की उत्तस पुस्तक १२-५०
११५ झाव्य तय से रोगी परीक्षा ( (आंफाए्क 6008 ता उपूनाफ )-ा० पी. जे देशपाण्ढे ७-००
११ ६ चाडधरसहिता--नवीन वंज्ञानिक विमशंपित सुबोधिनी हिन्दी टीका सहित । परिष्कृत चवीन संस्करण ५-००
११७ सालाक्य तन्न्न ( निसितन्त्र )--इस पुस्तक के ५ भागों में क्रमशः नासिका, दिर, कान, सुख एव
जाँखों के रोगों के हेतु, निदान, समस्प्राप्ति जाद़ि की विस्तृत विवेचना की गई है न्यय
११८ दिलाजीत विज्ञान--शिलाजीत का परिचय, क्ोधघनादि तथा अनुभूत योरगों का विशाद चर्णन है ०-७५
११९ सचिच-इन्जेक्शन--डा० शिवनाथ खन्ना । इन्जेक्शन देने से जितनी सावधानी, विज्ञता जौर कुदालता
की अपेंक्षा होती है, उन सभी विपयों का सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत पुस्तक का विपय है १०-००
१२० उिफाए्छ0छ फिफिाएल$ का. ऊै-प्रपा्प8, फैए 2 (9. 10. जिए्छान धाणठे ता काण0पे8ा'
छीकाए8 (िंघपा 5-00
१९१ सासान्य रोगी की रोकथाम--ढा० प्रियकुमार चौबे । इससे सभी सामान्य रोगों का परिचय, छक्षण
तथा उनसे चचने के उपायों का सचिन्न चिवेचन किया गया है ३-५०
१९९ सिंद्धभेपज सम्नह-जाचाय युगल किशोर गुप्त तथा डा० गयासहाय पाण्डेय । राज सस्करण ९-७७
उत्तम सस्करण ८-०० सुल्म सस्करण ७-००
१२३ खुश्रुतसंहिता--आायुर्वेदुतस्वर्सदीपिका हिन्दी टीका चेज्ञानिक विसर्श सहित ।.. टीकाकार-कविराज
अभ्विकादत्त शास्त्री । टीकाकार ने मूल संहिता के भावों को सरक्त भाषा से नवीन विज्ञान के साथ
तुलना कर विपयों को अधिक स्पष्ट एव घुद्धिग्राह्य बना दिया है । १-२ भाग सपूर्ण झंथ २४-००
१२४ सुश्रुतसहिता--सुदामा मिश्र कृत सुधा सस्कृत टीफा सहित क प्रेस में
१९५ खुशुतसंहिता शारीर स्थान--नवीन वंज्ञानिक 'प्रभा”-'दपंण' हिन्दी व्याख्या सहित दे-५०
१२६ उप्र लाश भा 8 छिप छठे एणाफालालाभाए6 पाफिए0प्टघाणा सिवछपिडी। घिधताइ2५1011
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' 4२७ सूीवेंथ विज्ञान--डा० राजकुमार द्विवेदी । परिष्क्रत द्वितीय सस्करण चनभक
१२८ सोशुती-+ढा० रमानाथ द्विवेदी । प्राचीन संस्कत अन्थों मे इस विपय की यत्र-तत्र बिखरी हुई सामग्री
को क्रसवन्ध एव भावुनिक विज्ञान से आलोकित सर भापा मे प्रस्तुत किया है । द्वितीय संस्करण ,. ८-५०
१२५ स्टेथिस्कोप तथा नाडी परीष्षा-( सचित्र ) इस पुस्तक में स्टेथिस्कोप की चनावट, परीक्षा, ध्वनिवर्णन
आदि तथा नाढीपरीक्षा संवन्घी सभी ज्ञात्व्य विषयों का वर्णन है ०-9५
१३० स्त्रीरोग-विज्ञान ( सचिन )-डा० रमानाथ द्विवेदी ३-५०
१३१ स्वास्थ्यविनान ओर सावंजनिक आरोग्य--ढडा० भास्कर गोविन्द घाणेकर ७-५०
१३२ स्वस्थवूत्त समुच्चयय--चरकाचाय॑ श्री राजेश्वरद्त्त शास्त्री कृत हिन्दी टीका सहित ६-५०
१३३ स्वास्थ्यसंदिता--हिन्दी टीका सहित । लेखक-कविराज नानकचन्द वेद्य शास्त्री । स्वास्थ्य “विज्ञान के
सभी सम्भावित प्रश्नों का विवेचन इस पुस्तक से किया गया है २-५०
१३४ स्वास्थ्य रिष्ापाठावली--डा० भास्कर गोविन्द घाणेकर । भायुर्वद संहिता, ्रन्थों से देनिक भाहार-
विहार तथा चिकित्सा के छिये उपयोगी श्ठोकों का सालुवाद सह इससे किया गया है ९०
१३५ हैजा ( विसूचिका ) चिकित्सा--इससे हैजा का इतिहास, क्षण, निदान, चिकित्सा और उससे बचने
के उपाय तथा कुछ अनुभूत नवीन पेटेंट ओोपधियों का भी चर्णन किया गया हे ०-9५
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