उत्तराखंड के पथ पर | Uttarakhand Ke Path Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.8 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे उत्तराखंड के द्वार पर .. रुडकी से रास्ता नहर-गग के किनारे-किनारे होंने के कारण गर्मी कुछ कम होगई। रुस्ता भी काफी श्ाकर्षक था । कही पुल पर होकर नहर बहती है तो नीचे नदी । एक जगह नदी को मोड़ कर नहर मे मिल दिया गया है । देखने से बडा मजा श्राता है। श्रागे चलकर हिमालय के दर्शन होने लगे । सारी टोली मौसम की प्रतिकूलता को भूल गई । हरिद्वार से कुछ पहलें ज्वालापुर की चुगी-चौकी श्राई जहां श्र बसो के साथ हमारी बस को काफी देर रोका गया । यह देरी बड़ी श्रखरी पर करते क्या श्राखिर २॥। बजे जबकि सूर्य- देवता खूब तेजी दिखा रहे थे हमारी टोली हरिद्वार पहुंची । हरिद्वार पहुचकर बिड़ला गेस्ट हाउस मे डेरा डाला । यात्रियों का काफी जमघट होने के कारण स्थान की बडी तंगी थी लेकिन हम लोगो ने पहले ही से सूचना दे रखी थी जिससे दो कमरे झ्रासानी से सिल गये। सामान जमाकर रास्ते की थकान और गर्मी से छुटूटी पाने के लिए सबसे पहले हुरि की पौडी पर गगाजी मे स्नान करने गये । जल बडा दीतल था । स्नान करके सारी थकान दूर हो गई। स्नान के बाद भोजन किया । थोडी देर विश्वाम करके घाम को घूमने निकल गये ।
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