खाद और पेड़ पौधों का पोषण | Khad Or Pedh-podho Ka Poshan

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Khad Or Pedh-podho Ka Poshan by मथुरादास - Mathuradas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पोषक तत्त्व कहाँ हैं और पेड़-पोधों को वे क्लिस तरह ग्रात होते ६ १ ९ चर्तित होकर, पेड़-पौधों को उपल्ू्ध होते रहते है । जमीन में छुद्रती तौर पर अनगिनत सूक्ष्म कीटाणु और कीड़े पेद्म होते रहते हैं, जो इन तीनों तत्त्वों को वहुत ही बड़ी सात्रा से भोज्य- रूप में तैयार करके पेड़-पोधों के लिए सुलभ वनाते रहते द । जैसे कि: (१) इन कीड़ों और कीठाणुओं के निःदबास से अविरत रूप से कार्बोद वायु ( 0810 0105106 898 ) निकलता रहता है। यह वही कलुदास्ल है, जो पेड़-पौधों की सोरों से निःश्ास के रूप में निकलता रहता है और जो जमीन के भीतरबाले फास्फरस और पोटेशियम तन्त्य को विघटित करता रहता है 1† कीटाणु-सष्टि के निःरवासजनित इस वायु की मात्रा बहुत ही जवर्दस्त होती है । अतः इस जरिये से, पेड़-पीधों को जमोन से विघटित होकर मिलनेवाले पोषक ठत्त्वों की मात्रा भी उतनी ही जबर्दस्त होती है । (२) इन कीड़ॉ-कीटाणुओं के देह-गठन में नन्नज्ञन की सात्रा उनके अपने वजन के, दस फी-सदी हिस्से के वरावर रहतो है और उनके मरने पर यह तत्त्व जमीन को वरावर मिलता रहता है; और ये कीड़ें-कीटाणु वहाँ साल भर मे अनेक वार जन्मते- भरते रहते हैं । (३ ) इन कीड़ों-कीटाणुओं के मल में तीनों पोषक तत्सं कौ सात्रा, इदू-गिदे की मिट्टी की तुलना में अनेक गुनी अधिक्र रहती है। जमीन के केंचुओं के सछ के विइलेषण से सात्म हुआ हे कि उससे नन्नजनतत्त्य की न्नात्रा, उसी खेत की दोप मिट्ठें) की तुख्ना मे पोच गुनो अधिक हाती ह; फारफरसतत्तय की स्तरा 1 कार्ओद वायु का एक अणु पानी के एक अधुके खाय जड मिन नाता रै, तव वह ्नदुदाम्लः क हलता रै ।




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