नया समाज | Naya Samaj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
580.27 MB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे नया समाज
फेलाकर ) संगीन काम करने को संगीन वक्त चाहिए. ।
रीटा--यानी १
चन्दू--चाय पीने को चार बजे का समय । प्रेम करने
रीटा--प्रेम करने को £
चन्दू--ठद्दरो सोच लूँ; प्रेम करने को शाम का वक्त ! वैसे रात भी
ठीक है ! करीचन करीबन” * *
रीटा--करीबन-करीबन . जब भी मौका मिल जाय । ( दोनों ठद्दाका
सारकर हँसते हें । ) तो मैं 'चलूँ चन्द्र !
वन्दू--( साथ ही उठकर ) ऐसी क्या जल्दी दे? बेठोन !
( झावाज लगाता ) चाय वाय लो न ।
रीटा-ररददने दो चन्द्र, मैं घर पर पी लूँगी । ( उठने
लगती है । )
'चन्दू--( दरवाजे के पास जाकर आवाज लगाता हुआ 2) रूपा,
रो रूपा के बच्चे, जाने कहाँ मर गया । मैं अभी झाया । ( पश्चिम के
दरवाजे से लौटकर 9 चाय श्रा रही है ।
( चन्दू, कॉउच के पीछे उसके कन्घे छूता हुआ झुककर 2 कितना
प्यारा नाम है रीटा ! ( तुनककर ) इस घर में कोई झाराम नहीं है, नौकर
एकदम पाजी ।
रीटा--क्यों, बाबा कहाँ हैं ?
व्वन्दू--( उसी तरह ) बाहर धूप में बेंठे हुकका पी रहे दोंगे।
( सामने था जाता है । ) वे एक दम पुराने जमाने के श्रादमी हैं । खाना
उन्हें चाँदी के बरतनों में चाहिए. । सामने रक्खा गिलास उठाकर नहीं पी
सकते, भरने को एक श्रादमी , खाली बैठे पैर दबाने के लिए, नाईं या
खबास ।
रीटा--तो बुरा कया दे !
व्वन्दू--बुरा १ श्ररे यह भी समझती हो कौनसा जमाना जा रहा
हे । बाबा पैदल नहीं चल सकते । कहते हैं ताँगे पर बैठना कोई बैठना है;
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