नवयुग - काव्य - विमर्श | Navyug - Kavya - Vimarsh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Navyug - Kavya - Vimarsh by दुलारेलाल - Dularelal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav

Add Infomation AboutShridularelal Bhargav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(वि ডু সাজছে भारतेंदु बाबू इरिश्चंद्र ने हिंदी-साद्ित्य में जो युगांतर उपस्थित किया, उपी के परिणशाम-स्वरूप खढ़ी बोली का प्रचार हुआ | पं० बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन', पंं० प्रतापनारायण मिश्र और भीदेखी प्रसाद पूरे! आदि ने काव्य की गति-विधि को परिष्तित करने में अपनी जिस योग्यता का परिचय दिया, बह हिंदी में ऐतिहासिक है | साहित्य में इख नवीन प्रगति को एकरूपता देने का श्रेय आचाये प> महावीरप्रसाद ट्विवेदो आर उनके द्वारा सपादित 'सरस्व॒ती? पत्रिका को प्राप्त है। आाचाये ट्विवेदोजी ने डके की चोट पर काञ्य की प्राचीन परिपाटी को वतेमान काल में अनावश्यक घतलाकर नवान प्रशाली का आविर्भाव किया | यददो नहीं, 'सरस्वती' ने अपनी नीति य निधोरित को कि उमसे सेवल खड़ी चोली की रचनाओं को ही स्थान दिया जायगा! इससे सैको हिदी- केखरों ओर कवियों ने शुद्ध भाषा मे गश्य-पद्य की रचना प्रारंभ की. और इतना प्रबल आंदोलन उठा ह त्रज्ञभापा की रचनाओं की परिपादी खत्म-सी हो गई । इस काम में पं० अयोध्यासिंह उपाध्याय, प? नाथुराम'शकर! शर्मो और पं* भ्ाधर पाठक-जैसे चनभापा छे प्रोद कवियों ने खड़ी बोली में कविताएँ क्िखक्वर बढ़ा योग दिया । इनके सिवा जिन्हंनि शुद्ध भाषा में दो कविता लिखरूर खड़ी षोली का भाग प्रशस्त किया, उनमें बाबू मेथिन्रोशरण गप्र, प




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now