चन्द्रप्रभ चरित | Chandraprabha Charit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
207
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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जिनका कि स्वरग॑वास शक संवंत् १०३७ में हुआ था। एक वीरनन्दिका
'जिकर श्रवणबेल्गुलके ४७ वें शिलालेसमें है; परन्तु वे महेन्द्रकीर्ततिके
पशिष्य थे । ।
महाकवि वीरनन्दिका केवर यही एक चन्द्रप्रभचरित उपलब्ध है ।
उन्होने इसके सिवाय ओर कोई मन्थ र्वा या नही, इसका पता नहीं ।
इस अन्थकी अन््तप्रशस्तिसि और आचार्य नेमिचन्द्रने उन्हें जिन
शाब्दो स्मरण करिया है उससे, मालूम होता है कि वे केवक कवि ही
नहीं थे-अख़िल वाड्मय पर उनका अधिकार था, वे सभाओंमें बोलनेवाले
अच्छे वक्ता थे और पिद्धान्तशासत्रोंके ज्ञाता भी थे ।
कविने अपने स्थानादिका उल्लेख कहीं भी नहीं किया । तो मी
जान पड़ता है कि वे कर्णाठकप्रान्तके ही रहनेवाले होंगे । क्योंकि
नेमिचन्द्र, चामुण्डराय आदि सब उसी प्रान्तमें हुए हैं ।
चन्दावाड़ी, बम्बई, |
अेन्नकृष्ण १ सं० १९७२, नाथूराम प्रेमी ।
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