जैन ज्योतिष | Jainjyotish
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३)
जिगर ध्मका मूर हाथ शात नही. कहा मी ह~ ५ मिथ्यालादि-
मी यदि मनो व्चेषि शधदः ॥ पौतः कि बहुश्नोषि शुद्धयति
पुरापुर.पपृ्ों घट ॥ मिवा महिन हवा জনে অন
बिगर शद्ध हेषा नदीं जेते मयते मरा हवा ঘতা পারে নার থা
शद्ध नस्ते धोनेपर भी वह शुद्ध नहीं हो नाता उसके अंदरका सभी
मद बाहर गिरा देनेसे ही शुद्ध ढोगा वैसा ही तीन मुदता णष्ट मद
रहित सम्पक्् दोनैसे सत्यार्य धर्मका मार्ग मिलता है. इससे सबसे
पहडे मिथ्यालका त्याग करना चाहिये तमी सत्माभे मैवागमपर भपनी
श्रद्धा छगती है ।
प्रकाश्षक:
User Reviews
rakesh jain
at 2020-11-28 15:46:37