डॉ अम्बेडकर | Dr.ambedkar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अछूत अवश्य था, लेकिन हेडमास्टर उसे বট 17. ৭
इस तरह भीम राव वा अब इटरवल ददी
ग्याया। उट् प्रधानाध्यापक भोजनं देते 1 वेड धीरं प्यार से
षिलाते । उह ल रहा था कि हेडमास्टर उनके पिता है मौर उनका पालनं
कर रहे हैं।
कक्षा के दूमरे छात्र भीम राव को देखकर जलते । वे आपस मे काना
'फूसी करते और एव-दूसरे से कहते कि हमारे हेडमास्टर साहब का भी
दिमाग खराब हो गया है। एक महार को प्यार करते हैं जो अछूत है और
जिसके लोटे वा पानी कौई भी नहीं पीता ।
भीम राव इन सब बातो से दूर ही नही, बहुत दूर थे। वे समाज की
नहीं जानते और घर को भी नही पहचानते । उहें यही लगन लगी थी कि
किसी तरह यह -आइमरी स्कूल की शिक्षा पूरी हो जाये। तब मैं आगे
7 बढ, 1 फ़िसी हाई स्कूल या इटर वालेद मे जाकर दाखिला लू!
यही कारण था कि भीम राव अपने कानो से जो सुनते, उसे सुनकर
भू जात । आखो से जो देखत्ते, उसे भी भुलाने की पूरी कोशिश करते थे ।
उनका सिद्धांत और वे उस पर पूरी तरह अडिग थे कि कही इधर से
उधर भटक न जाए ।
~ घर की परेशानी भी भीमराव के सामने थी । वे नित्य देखते कि उनके
पिता को कितना अधिक कष्ट सहन करना पड रहा है। उहे माता का भी
अभाव खलता। वे मन की बात किसी से भी नही कह पाते | हमेशा मौत
बने रहत, यह उनकी आदत पड गई थी ।
समय ने करवट बदली और युग अपनी नयी कहानी कहने लगा।
रामजी राव वी वह नोकरी इसलिए समाप्त हो गई क्योकि कम्पनी बन्द
हो गई थी। मालिक को घाटा हुआ, उसने कम्पनी बद कर दी । रामजी
राव भी घर पर आकर बैठ गय । वे वूढे हो गये थे । मौकरी की तलाश में
रोज जाते लेक्नि उद्दे मौव री-नही मिलती ।
बुछ दिन बाद भीम राव ने प्राइमरी की शिक्षा पूरी कर ली। वे प्रथम
सेणी मे उत्तीर्ण हुए ये। अब उद़ें हाई स्कूल मे भर्ती होना या। रामजी
राव उसके लिए प्रयास करने लगे।
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