झाँसी की रानी | Jhansi Ki Rani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वृन्दावनलाल वर्मा -Vrindavanlal Varma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लक्ष्मी वा १८
राजा--म॒कहमे वाले गश्रा गये हों तो उनको ভুলা लो
( मन्त्री जाता है और लोग आप है )
सन्त्री--सरकार, विट्र वाले टोपी सरदार भी श्राये हैं । मुकदमें
कीं सुनवाई के समय उनको यहाँ बैठने दिया जाय ?
राजा--हाँ, हां, विठलाओ उनको । विवाह सम्बन्ध के लिये जो
मेने स्वीकृति दे दी है वह भी उनको सुना देना । वे तात्या टोपे कहलाते
हैं । फिरंगी टोप लगाये रहते हे न, इसलिये ।
मन्त्री-- (प्रसक्ष होकर ) जो आजा । हमारी भांसी आनन्द के मारे
छलक उठगी । ॥
( मन्त्री जाता है और लाट आता 61 जब बढ बठ जाता दे ठव
सिर्पादियों से घिरा हम एक वर्दी आता है | 25555105185
बीच में আসা ইসি শী । আসিস জী राजा के निकट एक अच्छा
स्थानवेठने को दिया जाता है नगर निवासी भी यथास्थान विघ्ल
दिये जति ट् )
राजा-( वन््दी से ) क्यों जी, तुम्हारी जाति में जनेऊ पहिननें
की रीति तो है नही फिर. तुमने क्यों पहिना ? और, क्यों दूसरों को
पहिनने के लिये वहकाया ? -
बन्दी-- ( नीचा्ठिरि क्रिय द्ये ) सरकार, श्रपना श्राचरगा सुधारने
के लिये यदि कोई कुछ अनोय करे तो ज्ञाघ्त्रों में उनकी मनाई तो हूँ नही ।
राजा - श्रच्छा ! तुम लोग अ्रव शास्त्र भी पढ़ने लगे हो !! सुनता
तुम लोग क्षत्रिय बनने जा रहे हो ! !!
बन्दी--( जरा छिर ऊँचा करके ) क्षत्रिय तो हम लोग है ही
हथियार चलाना छोड़कर यदि हम लोग हथियार बनाने का काम करने
लगे हें तो, सरकार, हमारे क्षत्रिय में कमी नही आ सकती ।
বালী-লী গন तुम लोगों के सिवाय असली क्षत्रिय श्रौर कोई
ही नहीं । राम और कृष्ण के बंग के तुम्ही लोग हो न !!!
हक ५
0)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...