झाँसी की रानी | Jhansi Ki Rani

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Jhansi Ki Rani by वृंदावनलाल वर्मा - Vrindavan Lal Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लक्ष्मी वा १८ राजा--म॒कहमे वाले गश्रा गये हों तो उनको ভুলা लो ( मन्त्री जाता है और लोग आप है ) सन्त्री--सरकार, विट्र वाले टोपी सरदार भी श्राये हैं । मुकदमें कीं सुनवाई के समय उनको यहाँ बैठने दिया जाय ? राजा--हाँ, हां, विठलाओ उनको । विवाह सम्बन्ध के लिये जो मेने स्वीकृति दे दी है वह भी उनको सुना देना । वे तात्या टोपे कहलाते हैं । फिरंगी टोप लगाये रहते हे न, इसलिये । मन्त्री-- (प्रसक्ष होकर ) जो आजा । हमारी भांसी आनन्द के मारे छलक उठगी । ॥ ( मन्त्री जाता है और लाट आता 61 जब बढ बठ जाता दे ठव सिर्पादियों से घिरा हम एक वर्दी आता है | 25555105185 बीच में আসা ইসি শী । আসিস জী राजा के निकट एक अच्छा स्थानवेठने को दिया जाता है नगर निवासी भी यथास्थान विघ्ल दिये जति ट्‌ ) राजा-( वन्‍्दी से ) क्यों जी, तुम्हारी जाति में जनेऊ पहिननें की रीति तो है नही फिर. तुमने क्‍यों पहिना ? और, क्‍यों दूसरों को पहिनने के लिये वहकाया ? - बन्दी-- ( नीचा्ठिरि क्रिय द्ये ) सरकार, श्रपना श्राचरगा सुधारने के लिये यदि कोई कुछ अनोय करे तो ज्ञाघ्त्रों में उनकी मनाई तो हूँ नही । राजा - श्रच्छा ! तुम लोग अ्रव शास्त्र भी पढ़ने लगे हो !! सुनता तुम लोग क्षत्रिय बनने जा रहे हो ! !! बन्दी--( जरा छिर ऊँचा करके ) क्षत्रिय तो हम लोग है ही हथियार चलाना छोड़कर यदि हम लोग हथियार बनाने का काम करने लगे हें तो, सरकार, हमारे क्षत्रिय में कमी नही आ सकती । বালী-লী গন तुम लोगों के सिवाय असली क्षत्रिय श्रौर कोई ही नहीं । राम और कृष्ण के बंग के तुम्ही लोग हो न !!! हक ५ 0)




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