महाभारत का हिंदी प्रबंध काव्यो पर प्रभाव | Mahabharat Ka Hindi Prabandh Kavyo Par Prabhav
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८
नन्द, किराताचुनीयव्यायोग, नल-विलास, निर्मयमीम पांडव-चरिि, নী নী
जती कै प्रमुख काव्य, श्रपश्न श-फाव्य, हरिवंश पुराण, महापुराण, हरिवंश पुराण,
पांडव पुराण, हरिवंश पुराण, न्दौ साहित्य छा घ्रा फालः पृथ्वीराज रामो पर
महाभारत का प्रभाव, पंच पांडव रास, मवित काल भक्ति के झ्रान्दोलन पर महाभारत
का प्रभाव नही, तुलसी, सूरदास, उत्तर मध्यकाल, महाभारत, संग्रामसार, पांडुचरित्र,
महाभारत कर्णाजु नी, नलोपास्यान, जेमिनी पुराण, ब्रिजय मुक्तावली, पंचपांडव
चौपाई, विदुर प्रजागर, नल चरित्र, १६वी याती के प्रवन्व कान्या को सामान्य विेष-
ताए, श्रत्तात रचनाकाल के फवि श्र ग्रन्थ, महाभारत शल्यपर्व, चक्रव्यूह, द्रौएपवं
मापा, वर्मं संवाद, कुष्णायन, धमं गीता, पांडव यशेन्दुचन्द्रिका, नलपुराण, नलचरित्र,
अभिमन्यु-कया-भ्रभिमन्यु वय ।
चतुर्थ श्रध्पाय
महाभारत की कथा का प्रभाव १०५-२६१
तीन प्रकार के प्रवन्ध काव्य, छृष्णायन, कथा-संग्रहण, परिवर्तन-परिवर्धन
प्रौचित्य-समी क्षा, कृष्णायरण, जपनारत, कथा-संग्रहणा, परिवर्तन-परिवर्धन, निष्कर्प,
महाभारत का कणुं-प्रसंग, जन्म-कथा, दो रूपान्तर, महाभारत में करणं-कथा, रदिमरथी
वस्तु-संकलन-क वा-विकास, परिवर्तन समीक्षा, सेनापति कर्ण कथा-संकलन, परिवर्तन
परिवर्धन-कथा का विकास, हिटिम्ता प्रसंग मं नूतन-उद्मावना-निष्कर्प, श्रं गराज, मूुन-
कृथा, वस्तु संकलन,प रिवर्तन-परिवर्धन-समीक्षा, महाभारत विरोधी भावना पर विचार,
एकलब्य-प्रसंग, एकलव्य, वाथा-संग्र हण, गुरद क्षिणा समीक्षा, महाभारत का नलोपा-
ख्यान नल नरेश, कथा संग्रहरा, परिवर्तन-परिवर्धन, नूतन उदभावनाएं, दमयन्ती,
वस्तु संकलन, परिवर्तंन-समी क्षा, नकुल, कथा-संग्रहण, परिवर्तंत-परिवर्धन, श्रीचित्य-
समीक्षा, प्रासंगिक वृत्ता पर् ग्राधारित प्रवन्च काव्य, जयद्रथवघ, कथा-संग्रहण, परि-
वर्तन-परिवर्धन, नहुप, वस्तु संग्रहरा नूतन उद्भावना, कौन्तेय कथा, कथा विकास-
समीक्षा, ्ल्यवध, समीक्षा, हिटिम्वा का वृत्र, हिटिम्वा, सेनापति कणं में मनोवेज्ञा-
निक स्थिति, समीक्षा ।
पंचम अ्रध्पाय
महाभारत के चरित्र-चित्रण का प्रभाव २६३--३४ ६
महाभारत के चरित्र-चित्रण्ण की विभेषताए , वीर युगीन भावना, प्रेम का क्षेत्र
आधुनिक काव्य में चरित्र, पुनरत्यान-युग, वर्तमान युग, पुनरत्वान युग के प्रेरक तत्व
वुद्धिवाद, आदर्णवाद, जनवाद एवं मानववाद, वर्तमान काल में चरित्र-चित्र गा, कृष्णा,
नीतिन, लोक-रक्षक, परब्रह्म, धर्मज युधिष्ठिर, श्रना पाल्नन, दयालुता एवं क्षमा,
गिष्टाचार्, सात्विकता, निस्पृद्दा, श्रनासक्ति, वीरत्व, महामारत के प्रतिकूल चरित्र,
महावली भीमसेन थोयं-वीरत्व, क्षमा, सदुमभावना । मनोवैज्ञानिक विवेचन, कृष्णसखा
झजु न, थोर्य -वीरत्व, मानसिक इंद्व, योदारूप, मनोवैज्ञानिकता, अन्यरूप, अभिमन्यु,
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