अनेकांत | Anekant

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जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।

पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनेकान्त 59/1-9 13 कुण्डलपुर जिस विदेह देश का अंग था उसके विषय में पं. जी ने हरिवंशपुराण श्लोक।, सर्ग-2 का उल्लेख किया है- | अथ देशोस्ति विस्तारी जंबुदधीपस्य भारते। विदेह इति विख्यातः स्वर्गखंडसमः श्रियः। (सर्ग-2 श्लोक 1) जम्बूदीप के भारतवर्षं में विस्तार युक्त विदेह नाम का देश प्रसिद्ध धा, जो लक्ष्मी से स्वर्ग के खण्ड समान शोभायमान होता था। , विदेहः देश का कथन वर्धमान चरित्र श्लोक- 1 सर्ग- 17 मेँ हुआ है, जहाँ विश्व विख्यात कुण्डपुर नगर धा- “ख्यातं पुरं जगति कुंडपुराभिधानं (7-7)1” विदेह देश की स्थापना एवं उसके वैभव के वर्णन के पश्चात्‌ पं. जी ने उत्तर पुराण पर्व 74 के श्लोक 251-252 को उद्धृत कर लिखा कि 'जब अच्युतेन्र की आयु छह माह शेष रह गई थी और वह स्वर्ग से अवतार तेने कं सन्मुख हुआ । उस समय भरत क्षत्र कं विदेह नाम के देश में कुडपुर नगर के राजा सिद्धार्थ कं भवन के प्रांगण मैँ प्रतिदिन साढ़े तीन करोड़ मणियों की वर्षा होने लगी थी।” रत्नों की वर्षा की पुष्टि वज्जिकांचल के वासोकुण्ड-वैशाली के लोक गीतों से भी होती है। विदेह देश की स्थिति/परिसीमा : पं. प्रवर दिवाकर जी ने महाश्रमण महावीर पृष्ठ 120 मे भ. महावीर की जन्म भूमि विदेह देश की चतुर्सीमा का निर्धारण विहार धरो दि एजेज' पृष्ठ 51-55 के अनुसार निम्न प्रकार से किया! जिसे अभी विहार कहते हैं उसमें कारूप, मगध, अंग, वैशाली आदि अनेक देश समाविप्ट थे। वर्तमान तिरहत डिवीजन में विदेह अतमूर्त है। विदेह की राजधानी मिथिला थी। वह नेपाल 'की तराई में विद्यमानं जनकपुरी मानी जाती है। कुंछ संगय के अनंतर दक्षिण विदेह




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