वाल्मीकि रामायण | Valmiki Raamayanama

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Valmiki Raamayanama by जीवानान्दा विद्यासागर - Jivaananda Vidyasaagara

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जीवानान्दा विद्यासागर - Jivaananda Vidyasaagara

Add Infomation AboutJivaananda Vidyasaagara

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
णकोनलिश: संग: बालक रउस ११. म़िंदायम इति स्थात: सिदो अत्र मह्ातपा! । एतम्सिये व काले तू राजा बेरोचनिवलि! ॥ ४ ॥ निर्जित्य ट्रैवतगगान सेन्ट्रान्‌ सफ मरूदगणान्‌ । कारयामास चिष लोकेप विस्युत! ॥ ४ ॥ यज्ञञझकार सुमड्ानसुगेस्ट्रो मछावन्त! । बलेस्त यजमानस्य साग्नि पुरोगमा! । समागस्य स्वयं चेव ॥ & ॥ बलियेरोचनिविष्णों यज ने यज्ञमत्तमम्‌ । असमाम बव्रते तस्िन स्वकायमभिपदाताम ॥ ७ ॥ कक पथ सा पिएं एक गए आय अटल ब्यवक्तारे बोजमाह कि यस्मात सच तपा विष्णा स्तप: सिडो जात इति ण्ताथस्मिन काले विप्पस्तपः काले ॥ ४ ॥ मसडगसान आवक्ष'डिवायुगगान कारयामास स्वार्थ शिच्ष ससका- कर दी थे ही शत्यथ : यहा दन्ट्राडिगज्य ग्वोय: कश्चिटेव कारयासासेत्यस्वयः ॥ ९ ॥ बलेयजमानस्य व्ययक्ार' दे ति शेष: सा ग्नपुरोगसाः पुरोगसे- शी, हः कै माग्निना सकता इत्यथ :. व्यग्निमखत्वाश देवानां तस्थिन पुरो गसत्व स्वयमवागसम्य न हू टूतसखेन ॥ ६ ४ 2 द् ७ कर ७-०५ श्र यजत कल भप्रायत्वादात्मनेपट नम्वतुरस्य बलेटें वदिषों यागादानुप- पत्ति: यागतपणौय टेवताभावात्‌ इन्द्रादोना लद्हप्यत्वात न च शब्द- मात देते त युक्त व्यथवादप्रामागयेन टेयताया विस्ाछयक्यस्यो तर भीमांभायां ट्ति अखर देवभेटेन टेवानां कर बन्द दे न व चर न दर तल ये कमला टेयत्व' प्राप्रास्त कसरेंवाः थ्ाजानदेवास्तु यक्त- मन्न्राधमता मन्त्र ग. नित्यसम्ब हा! असम ट्ेबश्यः प्राचीन एव तत्क्स ढेवानां यन्न तप्यत्वन न टोष: रो ;- कमटेवा ग्एय ट्ेवला- थी के के ५ लत ८ के स्तर भावातू स्वयं व यज्ञादिस्ववण्थ नाजुपपस्-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now