जैन सिद्धांत भास्कर | Jain-sidhant-bhaskar
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किरय + ] भ० महावीर के समकाह्नीन रपति तण १९
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श्रावश्यक वू क श्युसार-- प० शोविद्रायजां क क्षण के अनुसार-+
पुत्रीनाम-- पति-- ,. स्यान नगर-- पुत्रीनाम-- पति-- स्थान नगर
१ भ्रमावती उद्यन दीतिमय १ प्रियकारिणी सिद्धाय डर
२ प्राची दपिवादन ष्पा २ श्ूगावदी शतानीक कौशाम्बी
३ गावी शतानीक काशम्दो ३ सुप्रमा তয় हंरकच्छु
४ शिवा সী. বজলহিবী ४ प्रभाववी उष्य चेर ^
५ ज्यष्छा ~ नदीवद्धन ऊृडप्राम ५ ज्यघ्ण सास्यक् गधार--
६ सुभ्यप्ण-कुमारिकाबस्या मेँ दीक्षा ~ { विवाह स पूघ दीक्षित )
७ चेद॑णा ˆ प्रेणिक হাসঘুহ
इनमें स्चूर्णि का समधन मूल आगमों स भा दाता है अत विशपमूप स मान्य किय जाने
चाग्य है । जैसे प्रभावता क पति उदायन की राजधानी सिंधु--सौवार देश क वीतिमय दगर में हाने
व उसके उत्तराधिकारी अमीचि कुमार ( भानजा) आदि का उलख भगवदांसूत्र में विस्तार से
आया है अत उनकी राजधानी कच्छ काठियावा”का रोस्क बठलाना सही नहा प्रतीत होता । विश
ज्ञानने क लिय॑ मुनि जिन विजयजी का “ह्वैशालिना गण सच्ताक साय नो गायक राजा चटक › लस
देखना चाहिय जा कि जैन सा सशोधकू वष २ अह्ड ४ में प्रकाशित है | चटके के सस्दध सें ८क
श्न्य लग्द विश्ववाणा! के गत अगस्त क शद्ग म मी प्रकाशित है । ৮
३ दशाया दशकों হালঘান। ইকে-ভু হালা ল্যাব আললামা गयी है तत्र श्व० श्रागमानुसर
शापधानों दशाणपुर झतिकावति का राजा दुसाणभद्र था जो किभ महावीर कपास दाक्षि
हुआ था। রি ध
४ क्रोराम्बौ नरा शवानीक क दीक्षित दोन व उनक तान श्रन्य उत्तराभिारा दानं क पश्चान्
उदयन का राजा हाना लिखा गया हे पर जैंनागर्मों के अनुसार शतानीक न॑ दीक्षा ग्रहण नहा का
षह বন ही कालधम का प्राह दुभा } टगादती म० मागार कं पाम दीक्षित भवश्य हुई था।
भागवत पुराण में ३ राजाओं का हाना व सहखानीक का शतानीक के पद प्रर श्रासीन दानी
कहां गया है पर यह सही नहीं प्रतीत होता । पैनागर्मा के अनुसार सहख्थानाक शतानीक का पिता
था और शतानीक के समय उद्बयन डाटा अवश्य था पर राजकार्ये मन्द्रियों की सहायता से सगावती
समाकता था। सगावती क दीक्षा लडेपर उदयन का राज्याभिषेक हुआ था। झत' शतानांक का
उत्तराधिकारी उदयन हुआ न कि बीचमें अन्य तीन स्यक्ति। ~
७ जावस्धर का कया का भ्राघार किउना श्रोचीन हूं? कट्टा नहीं जा सकता अत उस फधास
जितने राजादि क नाम झाय है वे महावीर क समकालीन ये यह सदिस्भ हूं? उक्त कधानुसार मिपिलाका
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