पञ्च एकांकी | Panch Akanki

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शादी करी द सोढो मुर्कराइट क्‍या हुओ ! माथेपर चमक नहीं [ জানতাম ९९९ भरी मस्ती নী ! यह पर तज नी, चर्‌ व्ही १ जित्तका क्था चरण है £ सा्ौ कदो कारण, ओर तो कुछ नी, आज ५८ २९ मादमूमिकी ५५ आ मथी द्वै। सब तरहसे सुख है, लेकिन सगतते प्रथ द्वोनेका टुः मान्‌ है । जिस दुःखका तो अकाल पुरुष ही दूर कर सकता हैं | जब चाद्वेंगा, मिटा देगा | [ गला भर आता है। आँखों से आंछू बह निकरते हैं ! लम्बी सांसके साथ आंखको धार दाढ़ीपर द्वोती हुओ नीचे गिरती दे ] নানু ভি পণপন্দী আহ্‌ | सगतसे अल्हदा दोनेका दुःख | आअुस वतनकी याद जिसके पुर्नेनि भर प८ गद्दारी को | देश स्वत फरनेकी योजनाका विरोध किया | आपको जलावतन करा | सगत ! सगत बिचारी क्या करती अुसक हाथ-पैर आपको “अहिंसा” की रस्सी से बधे थे | जरा दे देते खुडी ०ड़।ओका পল) ছি देखते कि अकः भी जालिप पिदशी जिंदा बचकर न जा सकता अब >भ्वी सार्से छने से क्‍या होता है : दी तदो नानू सिंह्जी ! आप तो जिस तरह नातं करत हैं, मानो देशकी आज़ादके डिये मैंने जो कुछ किया है वह किसीके ধিংঘং জছুলান छादा है। नहीं, मातृभूमिकी स्नतनताके ডিএ प्रयत्न करना ४२ आस आदमीका कर्तव्य है। जिसका शरीर मापमूमिकी मिशैसे बना दै। जो अपनी जननी जन्ममूमिकों




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