श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह भाग - 3 | Shri Jain Siddhant Bol Sagrah Bhag - 3
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो शब्द
श्री সিন मिद्वान्द बोल सगूद का तीसरा भाग पाठकों के सामने प्रस्तुत दै । इसमें
भ्ये, नर भौर दमे वों का सप्रह दै 1 साधुसमाचारी से सम्यन्ध स्फने वाता
अधिक यातें इसा में हें । पाठरों पो विशेष सुविधा के लिए इसमें विपधानुकम सूचा
भा पूरी दे दी गई दे ।
पुत्तर की शुद्धि का पूरा ध्यान रफने पर भी इष्टि दोप से कहीं झद्दीं भगुद्धियाँ
रह यटट है । उनके लिये शुद्धिपर भलग दिया है । जा भ्रशुद्धियों उड़्न प्रमाण गुन्या में
है, उन्हें णुद्ध बरके विषयामुकम सूची में भी द् दिया गया दे । भाशा है, पाठ
उन्हें सुधार कर पढ़ेंगे। इसके सिय्राय भी कोइ अशुद्धि छूट गई हो तो पाठ्य भद्ादय
उसे मुधार लगे क साथ साथ हमें मा सुचित करने की दृपा वरें,विससे भगछ सम्करण
में सुधार ली जाँय | इस के लिए दम उनके झाभादी होंगे ।
कागनों की फीमत बहुत ন गई है | छपाड़ का दूसरा सामान भी बहुत ঈদে
दा रद्ा दे इसलिए इसगार पुस्तक की कौमत २) रपनी पडी है। यह भी कागज भौर
छपाई में होने वाले भसली सच स बहुत कम है ।
বাঁধ মাম की पागडलिपि सैयार है। ग्यारहवें से चौदहयें बोल तर उसके पूरा हा
वणि ठी समायन दे । पाँचवों भाग लिया जा रद्दाहे। व भी यया सम्भव शाप्र पाला
हे सामने उपस्थित किये चाँयगें 1
भागशीप शुक्ला पयमी
संबत् १६६८ पुस्तक प्रकाणन समिि
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डगशे पमी भुगाया मद्दी जा समता ६ নিজ তয় বিগ লে যাহা ली रहें ।
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