शीघ्रबोध भाग - 1 से 5 | Shighrabodh Bhag - 1 Se 5

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Shighrabodh Bhag - 1 Se 5 by श्री ज्ञानसुन्दरजी - Shree Gyansundarji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञान परिचय । पृज्यपाद प्रान स्मरगिय शान्त्याद्वि अने गुगालस्न श्री मान्मुनि श्री क्ञानसुन्दग्जी महागज मादधिम 1 श्रापश्रीका जन्म मारवाड श्रोसवम वैन युत्ता ्नातीमे स १६३७ पजय दृशमिनो हया था बचपन से ही आपना ज्ञानपा बहुत प्रेम था स्वत्पावस्थामे ही आप समार व्यवहार याणिज्य व्येपार्मे अच्छे कुशल थेस १६४४० मागशर बट १० को आपका गियाह हुवा था दशाटन भी आपका बहुत हुवा था. विशाल कुडुम्ब मातापिता भाइ काका छ्ि आादिकों त्याग कर २६ र्यं शि युवान त्यम स ९६६२ चत क £ को आपने स्थानकयासीयो में दीक्षा ली थी दशागम श्रौग २०० थोर्डा कटस्य के ३० सूतो फी वाचना करी थी तप्रया एकान्त छट हट, मास दम्‌ आलि क्रनम भी श्राप सूरबीर थ श्यापङा व्यार्यान भी वाही मधु गेचक श्रौर असरकारी था शाख्र अयल्ोकन जन से ज्ञात हुवा कि হন বুলি उस्थापरो का पन्थ स्वरकुपोल कल्पीत मयुत्सम पदा हुवा तत्पशचान्‌ सर्पं कवये कि माफीक दुढवो सा त्याग कर श्राप श्रीमान्‌ रत्नविज्यजी महागज़ साहिय क पास ओशीया तीथ पर दीक्षा ले गुर आदशसे उपरश गच्छ स्वीकार कर प्राचीन गच्छका छद्धार




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