हिन्दी उपन्यास और यथार्थवाद | Hindi Upanyas Aur Yatharthvad

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
17 MB
                  कुल पष्ठ :  
737
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीसरी बार
(हन्दी उपन्यास और यथार्थवाद' के इस तृतीय सशोधित एव परिवद्धित सस्करण
में मुझे कुछ ऐसी सामग्रियां जोडनी पडी हैं कि जिदपर मैं प्रलग स्द॒तन्त्र रूप से हो
लिखना चाहता था, प्र सहृदय पाठको एव कतिपय उपन्यासकारों की प्रेरणा के फल-
स्वरूप उन्हें इस पुस्तक के साथ भी दना पड रहा है। उपन्यास-शिल्प-प्रकार के सम्बन्ध
में कुछ भी इस पुस्तक में नहों लिखा गया था जिससे उच कक्षाप्रों के छात्रों को दृष्टि
में रखते हुए पु्तक कुछ अपूर्ण-सी लगती थी । मूल पुस्तक के झ्रारम्म में प्रवेश खण्ड
के नाम से सामग्री प्रस्तुत को गयी है, उससे यदि पाठझ़ो को दृष्टि में पुप्तक को पूर्णता
मिलो हो सो मैं भपना प्रयत्व सार्थक समझूँगा। वोच-बीच ये भो जहां करी मुक
भ्रपुर्णंता दिखलाई पड़ी है, मैने उसे पूर्ण करते का प्रयत्न किया है। आचलिक उपन्यासो
को भी पुस्तक में स्थान देने के लिए 'हिन्दी उपन्यातों के नवीन अचल” नाम से एक
स्वृतन्त्र भ्रष्याय ही इस संस्करण में बढ़ा दिया गया है। हिन्दी का उपन्यास साहित्य
उत्तरोत्तर विकासोन्मुख है जिससे उसकी गरठिविधि से पाठकों को प्ररेचित कराना
प्रावश्यक था, फलतः मैंने  हिन्दो उपन्यास को वतमान गतिविधि! शीपेक के मातर
हिन्दी उपन्यास साहित्य की थोवूद्धि में लगे बर्तेमान उपन्यासकारों को प्रमुख रचनाश्रा
का भी सक्षित परिचय दे दिया है। इस परिचयात्मक व्यास्या में यदि पाठक किसी
प्रकार का क्रम देखना चाहेंगे तो उन्हें बहुत कुछ निराश ही होता पडेगा क्योकि
उप ढंग से प्रस्तुत करने मे पुस्तक के झाकार के भ्रधिक बढ जाने का भय था। मैंने
केवल सामान्य परिचय देकर कया साह्य के इतिहास लेखको का थोडा धम हो हल्का
क्रिया दै। प्रभो पुस्तक का सस्करण एवं परिवर्धन करने को मे तैयार नहों था पर
पाठको का भ्राग्रहु टा्तना मेरे लिये भद्यन्त कठिन हौ गया । श्न देवेद्ध प्रताप उपाघ्याय,
शारदा भ्रषाद पिह, कल्पनाय राय शौर महेन्द्रनाथय द्विवेदो भादि मित्रों ने यदि अपनो
प्रपूल्य सहायताएँ न दी होतों तो जिस ख्प मे^पुस्तक पारो के हाथ में जा रही है,
बह कमी भो सम्मव न हो पाता। हिन्दी प्रचारक पुस्तकालय ( सत्यनारायण मोदिर )
नें पुस्तकों से मेरी बठी सहायवा की है जिससे उत्से सम्बन्धित समी लोग साष्ठदाद
के पात्र हैं। विशेष कर उमेश ने तो पुस्तक-्सूची तैयार करने में मेरी बडो हो
सहायता वी है ।
					
					
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