समाजशास्त्र विवेचना और परिप्रेक्ष्य | Samajshastra Vivechana Our Pariprekshya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.18 MB
कुल पष्ठ :
447
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
राम आहूजा - Ram Ahuja
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थे सपाजशास्व -- एक परिचय
व्याख्या की है। चेबर मे इसका चिचार एक प्रकार की सस्था के रूप में किया है
जिसके चिपय में लोग जानते तो हैं किननु उसे दस्तावेजों से तथा वैज्ञानिक रुप में
सिद्ध नहीं वार सकते। कूले (0००८५) ने समझ को सहानुभूनिपूर्ण आत्मनिरक्षण
((ए०5छ४८॥01) कहा है । एक समाजशास्त्री अपने विषय को इस प्रकार जान पाएगे
कि याद में वे जब भी चाहेंगे, अपनी पूर्ण क्षमता के साथ याद कर सकेग व उसका
यर्णन कर सकेंगें। इम प्रकार ये इसे हमेशा आत्मनिरीक्षण द्वारा समझ सकेंगे ।
ज्ञान च समझ के बीच का अन्तर उतना ही बड़ा हैं जितना समाजशास्त्र का
'एक विज्ञान तथा एक कला के रूप में है। इन अनिरियत विधिया का भी महत्वपूर्ण
अन्तर है। एक वैज्ञानिक के रूप में समाजशास्त्री वा सबंध आपयारिक वैज्ञानिक
अन्वेपण की किसी कसौटी से होता है। समाजशास्त्री विशेष रूप से ऐसा शनुभव
करते हैं फि उन्हें अपना अन्वंघण इस प्रकार करना चाहिए कि अन्य व्यक्ति भी
उस प्रक्रिया फो चैसे ही दोहरा सके । दूसरे शब्दों में यदि अध्ययन को दोहराया जाता
है तो परिणाम एक समान ही होंगे।
उदाहरण के लिए मान लेतें हैं कि समाजशास्थी राजम्थान के विश्वविद्यालयों
में मादक दयाओ की प्रकृति तथा उनके दुष्परिणामा का अध्ययन करना चाहते हैं ।
मर्वप्रधम वे इस विपय में संबंधित सभी जानकारी तथा आकडे एकत्र करेंगे। वे एक
प्रश्नावली बनाकर सामान्य विद्यार्थियों, होस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों, विशेषज्ञो,
लिद्यार्थियों के सबधियों त्तथा जिन्हें उपयुक्त समझते हैं, ऐसे व्यक्तियों से जानकारी
एकत्र करेगे। इसके उपरान्त उनका विश्लेषण करेंगे तथा अपने निप्कर्ष निकालेगे।
अन्य समाजशास्त्री भी इसी प्रकार अध्ययन को दौहराकर राभवत: वहीं परिणाम प्राप्त
'कर सकते हैं।
इसके विपरीत कलाकार के रूप में समाजशास्वियों का सबंध तथ्यात्मक
जानकारी तथा अनवेपण को दोहराने से कम होगा। नशीली दवाओं के दुष्प्रभाव का
अध्ययन करते हेतु चे सहभाधिय के अभिमतो, अनौपचारिक उपकरण तथा अन्य
तकनीक का प्रयोग करेगे। फिर भी कलाकार के रूप में एक समाजशास्त्री वैज्ञानिक
अव्वेषण के सिद्धान्तों की अगदेयों नहाँ करेंगे!
चाम्तव में सामाजिक जगत को पूर्ण रूप से समझने हेतु समाजशास्त्र एक कला
व एक विज्ञान, इन दोनों परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता हैं। समाजशास्त्री रॉबर्ट इस
दृष्टिकोण से सहमत हैं।
'समाजशास्त्र एक विज्ञान के रूप में (5०८0010४ 285 5९८४)
पचिज्ञाव बया है? चया समाजशास्त्र एक विज्ञान है? ज्ञान प्रामि की तार्किक एवं
व्यवस्थित प्रक्रिया ही विज्ञान हैं । विज्ञान वह मानवीय ज्ञान है जो अनुभवी (अधवा
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