साहित्य - संचय | Sahitya Sanchay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वहाँ पहुंचते ही ये सारी बातें हम लोगों ने उन दोनों भाइयों से
सुनीं । भ्रव तो हमारे भी सामने जेल जाते का प्रश्न श्रा गया | हँम लोगों
ने तय कर लिया कि जरूरत पड़ने पर हम भी जेल जायेंगे । यह निश्चय
गांधीजी को हमने सुना दिया। उन्होंने काग्रज़-कलम लेकर सबके नाम
लिख लिये । हम लोगों को कई टोलियों में उन्होंने बाँठ दिया। यह भी
तय कर दिया कि ये टोलियाँ किस क्रम से जेल जायँगी । पहली टोली के
सरदार मजहरुलहक साहब थे, दूसरी के बाबू ब्रजकिशोर । एक टोली का
सरदार में भी बनाया गया। ये सारी बातें वहाँ पहुंचने के तीन-चार
घण्टों के श्रन्दर ही तय हो गईं ।
मुकदमे में तीन या चार दिनों के बाद हुक्म सुनाया जाने को था।
उस दिन गांधीजी जेल जाने वाले थे | मजहरुलहक साहब के हाथ में कोई
मुकदमा गोरखपुर में था । वह वहाँ चले गए, ताकि मामला खत्म करके
उस दिन के पहले ही वापस आकर नेतृत्व करें ।
* बाबू ब्रजकिशोर भी अपने घर का प्रबन्ध करने के लिए दरभंगा चले
गए । हम लोग मोतीहारी में ही ठहरकर किसानों के बयान सुनने और
लिखने लगे । विचार था कि जब ये दोनों सज्जन वापस आ जायँगे तब
हम लोग भी एक-एक करके घर जायेंगे और घर के लोगों से मिल-जुल-
कर जेल-यात्रा की तेयारी करके लोट आएँगे ।
गांधीजी ने अपनी श्रात्मकथा' मे चिखा है कि इससे वह् सन्तुष्ट हुए
थे, और उसी दिन से बिहार के प्रति उनका बहुत प्रम हो गया और हम
लोग उनके विदवास-पात्र बन गए ।
चम्पारन की जाँच शुरू हो गई । हजारों की तादाद में किसानों ने
बयान लिखवाए; शायद २०-२५ हजार बयान हम लोगों ने लिखे हों ।
तारीख के पहले ही मजिस्ट्रंट ने लिख भेजा कि सरकार के हुक्म से
गांधीजी पर से मुकदमा उठा लिया गया और उनको जिले में जाँच करते
की इजाजत दे दी गई । जाँच से पता चला कि जो कुछ जुल्म हमने सुने
थे, वहाँ की परिस्थिति उससे कहीं भ्रधिक बुरी थी ।
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