हमारी बा | Hamari Baa

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Hamari Baa by वनमाला परीख -Vanmala Pareekhसुशीला नैयर - Sushila Naiyar

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सुशीला नैयर - Sushila Naiyar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ ० , (= ` जन्म ओर विवाह करायियावाक्के पोखन्द्र नगरं सन्‌ १८६ ९के रै महीनेमें बा का जन्म हुआ था। वापूजीस वा क़रीब छह :महीने बड़ी थीं। पिताका नाम गोकुल्दास मकनजी था और माताका লাল ब्रजकुँवर। कुछ पाँच भायी-वरदनेमिं तीन भाय ओर दो बहने थीं। झिनमेंसे अक़ बहन और ओक भाओ वचपनमें ही ग़ुज़र गये थे । बढ़े भाओ जवानीमें चल बसे। फिर ओअक वा और ओक अनके छोटे माओ माधवदास दो ही रह गये। माधवदास मामा खबसे छोटे और बा तीसरी थीं। आओ ज़मानेमें, ओर सो भी काटियावाइमें, छड़कियोंको को पढ़ाता नहीं था। जिसलिओ बचपनमें वा बिल्कुल निरक्षर थीं। लेकिन अुनको घरके काम-काजकी अच्छी ताढीम मिली थी और पिताके संस्कारी -वष्णव परिवार ऊख आत्तम गुण आन्हें विरासतमं मिले थे। धार्मिक वातावरणमें अक खास संकल्प-बछ और संयमका विकास होता हैं, और ये दोनों बातें वामं ट्ट वच्पनसे दी पाओ जाती थीं। वा के पिताजी पोखन्दरमें व्यापारी थे। आर्थिक स्थिति साधारण ही थी। पोरबन्दर राज्यकी दीवानगीरी करनेवाले गांधी परिवार्के साथ अनका अच्छा सम्बन्ध था} यिरकिमि आऑन्होंने सात सालकी आुमरम ६॥ साल्के वापूके साथ वा की सगाओ कर दी ओर तेरह सालंकी अमरमें अनका विवाह हुआ। : # १8 आज हमको जिस तरहके बाल-विवाहकी बात विचित्र और विनोद- पूर्ण माठ्म होती है। बापुजीने भी आत्मकथामें अुसका रोचक चित्र खींचा है। वे लिखते हैं : “मुझे याद नहीं पढ़ता कि समाओके समय मुझसे कुछ कहा गया था। जिसी तरह व्याहके वक़्त भी कुछ प्र नहीं ३,




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