हिंदी कवियों की काव्य - साधना | Hindi Kaviyo Ki Kavya Sadhana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
289
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
डॉ. भागीरथ मिश्र - Dr. Bhagirathi Mishra
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दुर्गाशंकर मिश्र - Durgashankar Mishra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६)
चंद प्रथ्वीराज के राजकवि ही नहीं उनके सखा, सामंत ओर
प्रधान मंत्री सी ये | पहमापा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छन्दशाले,
ज्योतिष, पुराण, नाटक, पदक, संगीत आदि कई सापाश्रों घोर
विद्याओं में वे पूर्णतः पारंगत थे और साथ द्वी वीर एवं छारी म
थे । नालंबरीदेवी का इष्ट होने से ये श्रदृष्ट काव्य भी कर सकते थे |
सभा, यात्रा, आखेट और युद्ध झ्रादि में स्वंदा ये पृम्बीराव के साथ '
रहते थे | चंद ने दो विवाह किए थे। प्रथम फनी का नाम कमला
डपनाम मेवा था और दूसरी का गौरी उपनाभ राजोरा था । रासो की
कथा चंद ने गोरी से कही है | गौरी प्रश्न करती दे ओर शंका प्रस्तुत
करती है। चंद उसके प्रश्नों का उत्तर देते है. श्रौर शंक्रा-समाधान भी
करते हैं | इन दो पत्नियों से चंद की ग्यारह संतानें हुईं, दस पुत्र ओर
एक कन्या | कन्या का नाम राजवाई था तथा पुत्रों में लोथा पुत्र
जरया सवते श्रधिक योग्य ओर परतिमाक्षाल्ली था | पृथ्वीराज रासो? मे
चंद के लड़कों का उल्लेख इस प्रकार दै--
दहति पुत्र कथि चंद के खुदर रूप सुज्ञान।
देक अर्ह गुन वावरो गुन-समुद ससभान॥
प्रहममद्दीपाध्याय पं० हरप्रसाद शात्री ने सन् १६०६ से १६१३
तक राजपूताने की तीन यात्राएँ की थीं जिनमें उन्होने प्राचीन
ऐतिहासिक काव्यों को खोज की । बंगाल की एशियाटिक तोसायदी ने
उनका विवरण प्रकाशित किया है | इस खोज में शास्षीजी को 'पृथ्वी-
राज़ संबंधित सोः से सामग्री भी प्राप्त हुई | शा्रीजी का कहना है कि
नागौर में चंद के वंशज अभी तक रहते हैं| नागौर प्रथ्बवीराज লী লামা
था और वंको बहुत सी भूमि चंद को दी थी। चंद के वंश के
वर्तमान प्रतिनिधि नानूराम भाठ से शास्त्रीजी ने मेंट भी की और
उन्हें नानूशाम भाद से चंद का वंशबृक्ष भी प्राप्त हुआ जो कि इस
प्रकार है---
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