कीट - पतंगों की आश्चर्यजनक बातें | Keet - Patangon Ki Aashcharyajanak Baten
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भिन्न-भिन्न प्रकार के कीटो के कान भिन्न-भिन्न या दूसरे भागो में भी होते
हैं। अनेक प्रकार के कीट शरीर के बहुत-से भागो से सूँघते हैं। इनमें मानवो के समान
विकसित कान नही होते तथा न ही इनकी मानवो के समान नाकनहोतीं ह । इनकी सुघने
की शक्ति तेज होती है। ८ द भ
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करई टिङ्डो के कान उनके उद्र पर होते है । इन्द कान न केकर सुनने की
छोटा-सा यत्र कहना चाहिए।
कीटो की यह विशेषता होती है कि ये कपन का अनुभव अपने पैर के माध्यम
से भी कर सकते है । प्रकृति ने इन्हे यह अद्भुत शवित प्रदान की है । कैटीडिड नामक
कीडा रगो पर बने नन्दे 'धन्बो' की सहायता से सुनता है । बहुधा इनका स्वर कटु
ओर कानो को प्रिय न लगनेवाला होता है ।
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