अंतिम तीर्थकर महावीर | Antim Tirthakar Mahavir
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री व्यथित हृदय - Shri Vyathit Hridy
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन धर्म की ज्योति
जेन धर्म के सम्बन्ध में हम अपने विचार इस प्रकार व्यक्त
कर सकते हैं --“जहां अनेंकान्त दृष्टि से तत्त्व की मीमांसा की
गई है, अर्थात् प्रत्येक वस्तु के अनेक पहलुओं पर विचार
करके सम्पूर्ण सत्य की अन्वेषणा की गई है, खण्डित सत्यांशों
को अखण्ड स्वरूप प्रदान किया गया है जहां किसी प्रकार के
पक्षपात को अवकाश नहीं है, अर्थात् शुद्ध सत्य का ही अनुसरण
किया जाता है, और जहां किसी भी प्राणी को पीड़ा पहुंचाना
पाप माना जाता है, वही जन धम है। आचार पम्बन्धी अहिसा,
विचार सम्बन्धी अहिसा, अर्थात् सत्य एवं स्याद्वाद का
सम्मिलित स्वरूप ही जन धममं है।
जेन धर्म की दिव्य-ज्योति का आविर्भाव इस भूतल पर
कब हुआ, इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से कुछ भी कह सकना
अत्यन्त कठिन है। इसका का रण यह है कि जैन धर्म का प्रवतंन
न तो किसी महापुरुष के द्वारा हुआ है, और न किसी विशेष
१५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...