शतरंज का खेल | Shataranj Ka Khel

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Shataranj Ka Khel by शोभाचन्द्र - Shobhachandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ गये । स्टीफन .ज्वाइग तब इँगलैडम ही थे। इन घटनाओंसे उनके मनपर जो अमर पड़ा, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। इगलेंडसे वे फ्रांस आये, और वहंसे अमरीकाक्रे लिए रवाना हो गये | डनकर्कके बन्दरगाहपर एक लोमहषेण दृश्य उपस्थित था। हजारों लाखोंकी संख्यामें यहूदी छोग वहाँ इकट्ठे हो गय ये | पोल्ण्ड, आस्ट्या, चकोस्लोवाकिया, रूपानियाँ, हंगरी, बढ्गेरिया, युगोस्लाविया आदि भिन्न भिन्न देशोंसे भाग-भागकर वे छोग आये थे। जो जिस देशमे आया था, वहींकी बोडी बोलता ओर वहींकी वेशभूषा पहने था | कई पीढ़ियोंसे थे लोग उन देशोंमें रहते आये थे। वहँकी संस्कृति, वहाँकी जलू-वायु, मिद्टी इनकी आत्मारमें बप चुकी थी। ये छोग भूल चुके थे कि वे यहूदी हैँ । आज अकस्माव्‌ इस भीषण सत्यका, अपने यहूदी होनेका,. उन्हें ज्ञान हुआ । वे लोग जंगली हिरणोंकी भाँति डेर हुए वहँँपर इकट्ठे हो रहे थ। वे ऐमे देशोंकी ओर जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने সম भी नहीं देखा था । वहाँ उनका केसा स्वागत सत्कार होगा, केसी आव-भगत होगी, इसका अनुमान कर्‌ करक वे सिहर उठते थ। उन्शैके साथ बैठकर आसटरियाका यह महान्‌ यहूदी कलाकार, स्टीफन ज्याइग, अपनी मातृभूमि छोड़कर हजारों मील दूर अमरीकाकी ओर चल दिया | उसके स्वप्नांका संसार नष्ट हो चुका था। यूरोप जिसकी आध्यात्मिक महत्तापर वह कभी विश्वास करता था, आज पशुताके पेरोंतले रोंदा जा रहा था| अपनी भाषाम उसने जो कुछ लिखा. वह चुन-चुनकर जला दिया गया था। कोई भी मनुष्य उसके दुःखकी गम्भारता नाप नहीं सकता था । कलाका लक्ष्य अमरत्व-प्राप्ति - कलाक्रा ख्रश दै। वह प्रजापति है। उसकी पुस्तकें, वाक्य और शब्द उसकी प्रजा हैं। भाषा उसका क्षेत्र हे । उसर्भ अपनी कृतियोंको बह जन्म दता है। उनके नष्ट होनेते उसे वदी दुःख होगा, जो एक पिनाको अपनी सन्तानके मरनेपर । य ॐ फ क ख ५, है ৯৬ न गि ¢ क्ति मनुष्य जानता है कि एक दिन उसे मरना है। मृत्युमे उते कोई হা नहीं बचा सकती | बह प्रयत्न करता दे कि उसका नश्वर शरीर मले ही नष्ट हो




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