धर्म के नाम पर | Dharm Ke Nam Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ धमेके नामपर
गदं थी | उन सुन्दर रूपोंको उस जमीनमेंसे निकाला गया, जिसने उन्हें
सुरक्षित रखा था।
यह इसीका परिणाम है कि आजका सभ्य संसार कलासे परिपृण है, दीबारें
'चिन्नोंसे सुसज्जित है, ओौर मूतिरयो रखनेके ताक मूतियोसि सुशोभित हैं। कुछ
पाण्डुलिपियाँ खोज निकालीं गई और उन्हें नये सिरेसे पढ़ा गया। पुशनी
आधषायें सीखीं गई और साहित्यने नया जन्म लिया। भावनाने नया प्रकाश
देखा । मजहबने मानसिक विकासके प्रत्येक प्रयलनका विरोध किया । यह सब
होनेपर भी सामान्य बिनाशसे बचा ली गईं कुछ चीजोंने, कुछ कविताओंने,
प्राचीन चिन्तकोंकी कुछ कृतियोंने, पत्थरकी कुछ मूर्तियोंने, एक नई सम्यताकों
जन्म दिया जो निश्चयात्मक रूपसे मिथ्या विश्वासकी जड़ हिला देनेवाली थीं ।
अमरीकाकी खोज
ईसाई मजहबको दूसरी बड़ी चोट किस बातसे लगी ! अमरीकाकी खोजसे।
पविन्न प्रेतको, जिसने बाइबल लिखनेकी प्रेरणा की, इस महान् द्वीपकी कुछ
जानकारी न थी, उसे पश्चिमी ग्रोलाधका कभी ख्याल भी नहीं आया था।
चाशबलमें आधे संसारका उलछ्ेख ही नहीं है। (पवित्र आत्मा?
को इस बातका ज्ञान नहीं था कि पृथ्वी गोल है। उसे इस बातका
स्पप्त _ भी नहीं था कि प्रृथ्वी गोल है । यद्यपि उसने स्वयं उसकी
रचना की थी तो भी उसका विश्वास था कि यह चपटी है) किन्तु
अन्तमें यह प्ता ल्ग गया कि पृथ्वी गोरू है । मैगेलन समस्त
पृथ्वीका चक्र काट आया | १५१९ में उस वीर आस्माने अपनी यात्रा
आरम्भ की | पादरी, पुरोहित बोले--* मित्र, पएथ्वी चपटी है, मत जाओ,
कहीं तुम किनारेके आगे नगिर पड़ो |? मैगेलनका उत्तर था;--: मैंने
चन्द्रमामे पृथ्वीकी छाया देखी है ओर मेरे लिये ईंसाई मजहबकी अपेक्षा यह
छाया अधिक विश्वक्षनीय है | › जदटाज पृ्वीके गिदं धूम आया । समस्त
प्रथ्वीका चकर काट ल्या गया । विज्ञाने पृ्वीके ऊपर ओौर नीचे अपना हाथ
फेर कर देखा | कहाँ था वह स्वर्ग और कर्हो था वह् नरक | स्वग ओर नरक
सदाके लिये बिडीन हो गये । अब यदि कहीं उनके लिये जगह है
सो केबल मिथ्या विश्वासियोंके मजहबमें ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...