आशीर्वाद | Aashiirvad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
195
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
प्रतापनारायण श्रीवास्तव - Pratap Narayana Shrivastav
No Information available about प्रतापनारायण श्रीवास्तव - Pratap Narayana Shrivastav
श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ख्राशीवांद ११
से पूछ ले । मेंने उसे नहीं छेड़ा । रसूल पेरंबर की क़सम
बेअदवी नहीं को ।”
दशकों में से एक ने कहा--“हुज॒ र, छोड़ दें । ग़रीब को
सताने से फ्रायदा १”
में--०यह बदमाश गरारीब ओरतों की बेइज्ज़ती करता हे,
छोड केसे द १!
दूमरा दशक--आप भिखारिन से खद पृत्रं लीजिए,
ग्रगर बह कहें कि इसने कुछ गुस्तासखरी को है, तब इसको
पुलिस के हवाले कोजिए, वरना छोड़ दे । इंसाफ़ होना
चाहिए ।''
मने डपटफर् कहा-- “चुप रहा, मेने च्रपनी ओखां से
दखा हैं, यह शख्स बराबर उसे छेड़ रहा था ।”!
„ 2:
१
पुलिस का सपाहों पास आ पहुंचा | युवक कॉपने
जगा ।
২5 ভাঁ मे पूद-परचित सोठे स्वर न कहा--“साहंब,
इसका छोड़ दं, मेर कहने से छोड़ द॑ 1?
मेने देखा, भिग्धारित सामसे खड़ी थों। उसके मुख पर
करुणा, दया प्रर ऋूमा को छाप थी । उसके नत्रों में अब
भी आँसू भर हुए थ | शायद बे क्षमा के थ |
म॑ने ।पखारिनी से पूडा-- मा, क्या इसने तुम्हारा
अपमान नहीं किया १”
भिखारिनी--०में पहचानती नहीं । में ठीक नहीं कह सकती।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...