क्यामखांरासा | Kyam Khanrasa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
187
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. दशरथ शर्मा - Dr. Dasharatha Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फविवरं जानं ओरं उनके ग्रन्थ ॐ
दूसरे उपवर्गकी रचनाएँ -
१. निर्मल, रं, सं, १७०४ साघध॑, छुन्द वही, दोहा १३, निरमेलको सतोत्व र्क्षाकी कहामी ।
२. सतयंती, र. सं. १६७८, छुन्द वही, दोहा ५२, सतवबंतोकी रक्ाकी कहानी ।
३, तमीमअ्रनसारी, र. सं. १७०२, चोपाई १७०, तमीसम॑ अनसारीके पत्नीकी खतीत्व
रत्ाकोी कहानी ।
४. शीलवती, र. स. १६८४, छन्द बंदी, दोहा २५, शीह्वतीको सतीोत्व रंत्ञाकी कहानी
२ दिनमें रचित ।
५, कुल्नवंती, से. 1६९३ पौष॑, छुन्द वही, दोहा ४७ कुल्नबंतीकी सतीत्व रक्षाकी कहानी ।
स्वृतन्त्र कहानियां-
१. बहूकियां विरही, र. से, १६९८६, चोपाई १२८, एक दिन में र॑जित, इश्वर-प्रेममं पागल
चरूकिया विरहीके एक लोभीके उद्धारकी कहानी ।
२, भरदेसरकी कहानो, र. सं. १६५०, दौहा-चोपाई, दोहा २३, दो प्रहरमें रचित ।
म॒क्तक भृगार वणन, १. बशेनार्मक, २, रीति काव्य वर्णनात्मक -
१. बारहमासा, २. सं. अज्ञात, सवेया १७५, वियोग ४ गारका बारंहमासा ।
२. न्थ बरबा, र. सं. अज्ञात, बरबा ७०, संग्रोग-वियोग षट् ऋतु वर्णन ।
३. षट् ऋतुं बरबा,र. स. ज्ञातं, बरवा २२, षट् ऋतु वणेन ।
४. षट् क्तु पवंगम, र. सं. श्रज्ञात, पवंगम पु. २. षट् ऋतु वणन ।
( विशेषता--अंत पदोंको अंकवरण जौ मारिशरे ।
तो बश्बा सब द्वे हें मठे विचारिओ ॥)
घुंघटनामा, र. सं. अज्ञात, दोहा चौपाई ४, पृष्ठ, यौवन व घूंघटका बणोन।
, सिंगार-सत, ₹. स. १६७१, दोहा १०१, स्त्रियोंके हर गारका वर्यान, ३ दिनमें रखित।
. भावसतः र. सं. १६७१, पुष्ट ६, श गार रस, २ दिनमें श्चिव ।
विरहसव, र. सं. १६७१ दोहा, १००; वियोग श गार, ५ दिनम रचित ।
५, द्रसनामा, र. सं, अज्ञात, चौपाई २१ ““घुषट खोक्ञ दरस परसाबः ।
१० ग्रल्लोक नासा, २. सं, अज्ञात, चोपाई २३, अल्षकोके सोंद्यका वर्णान ।
११, दरसन नामा, र. सं, अज्ञात, चौपाई ३३ ।
१२. बारहमासा, र. सं. अज्ञात, पृष्ठ २, फुन्निग दन्द ।
१३. प्रेमलागर, र. सं. १६६४७, दोहा २६४, प्रेममदिमा ।
१४. वियोगसार, र. सं. १७१४, दोहा, सबेया, पृष्ठ १६, विरह-वर्णन ।
४५, कम्द्रफकलोल, र. सं. अज्ञात, कविस सवेया, पृ० ३२, श भाररस स्तक कन्ध । मतिमें
1 @ গা নে
User Reviews
No Reviews | Add Yours...