वेदलावण्यम | Vedalavanyam
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
379
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७)
गए हैँ । बी० ए० और एम ० ए० दोनो ही श्रेणियों में पदपाठ पूछा जाता है।
अत स्वरो के चिह्नो का परिज्ञान भी नितरा आवश्यक है । बैदिक व्याकरण
पर भी प्रइन पूछे जाते हे। वैसे भी मन्त्रा की भाषा को समसमें के लिए
बँदिक व्याकरण का ज्ञान परम वाछनीय है। अत इन दोनों विषयों का
सक्षिप्त, समक्स, स्पप्ट और आवश्यक परिचय यहां सबलित मस्त्रों से
उदाहरणो के साथ ऋग्वेद के सूकतो के अन्त में दिया गया है!
०१ इस प्रकार इस प्रन्य को सर्वोगपूर्ण और सभी विश्वविद्यालयों में
अधोग किए जाने योग्य बताया है। यदि यह संस्करण विश्वविद्यालयों में
जादृत हुआ तो और अधिक मन््त्रो और सूचतो पर लिखने का साहस करना
मभव हो सकता है!
२२ स्वतन्त॒ता से पूर्व वैदिक और सरुद्धत के विद्वाना में एक विश्ञेप
गुण या परिपाठी थी---दूमरो के लेखों और ग्रन्धो आदि का गम्भीर अध्ययन
वर उत पर अपने-अपने विचार प्रफाशझित करना और ऐसे विचारों बी आशो-
चना प्रत्याजोचना । सदुभावनापूर्ण यह सैली अध्ययन ओर नान को विस्तृत
करने का अत्युत्तम उपाय थी । परन्तु आज इस घैसी का प्रचतते पर्याप्त
कम हो गया हे । इस में मद्भावना के हास के साय अहमाव भी बहुत बढ
गया है। यदि कोई देव इस रचना को एवविध सदभाषनापूर्ण आलोचना
करें श्षो उस की एक प्रति विचाराय॑ प्राप्त कर उन का परम अनुपृहीत रहूंगा ।
२३ মাহ के कुठ विश्वविद्यालयों में बो० ए० में वेद पढ़ाने वी
परिषाटी अग्रेजों के काल से चली आ रही है। यद्यपि अग्रेजों का रूथ्य
निर्व्याज रूप से भारतीय साहित्य और सस्दृति से न्याय करना नही था
नथापि उन्हों ने वेदाष्ययन का क्षम चालू किया जो उन के शासनकाल में
उत्तरोच्र बढ़ता गया।
२४ परन्तु स्थितियाँ वदली। अग्रेड चले गए। स्वतन्त्रता भाई।
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