भारतीय दर्शन | Bhartiye Dharshan

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Bhartiye Dharshan by वाचस्पति गैरोला - Vachaspati Gairola

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ दर्शनशास्त्र जिज्ञासा का भ्र्थ है ज्ञान को इच्छा (ज्ञातुं इच्छा) । यही आनेच्छा हमें जोवन कँ प्रति, जगत्‌ के प्रति नये-नये भन्वेषणों, भ्रनुसंधानों और प्राविष्कारों मे प्रवृत्त करती है। इन नयी क्रियाओ्रो एवं प्रवृत्तियों से हमें नया ज्ञान मिलता है; नया दर्शन उपलब्ध होता है । क्योंकि जीवन की मोमांसा करना ही दर्शन का एकमात्र उद्देश्य है, भ्रतः जीवन से सम्बन्धित जितने भी श्राध्यात्मिक, ग्राधिदेविक तथा आधिभौतिक वदार्थ है उतका तात्त्विक विश्लेषण करना भी दर्शन का कार्य हो जाता है। दर्शन और विज्ञान तात्त्विक दृष्टि से संसार के समस्त पदार्थों को दो भागों मेँ विभक्त किया जा सकता हैं सचेतन और अ्रचेतन । इन द्विविध पदार्थों के बाहरी स्वरूपों पर विचार करने बाले शास्त्र को विज्ञान और उनकी भीतरी सूच््मताओ का अन्वेषण-परीक्षण करने वाले शास्त्र को दर्शन कहते हैं। तात्पर्य भेंद से दर्शन और विज्ञान की अनेक कोटियाँ है । मनोविज्ञान, भौतिकविज्ञान, शरीरविज्ञान, समाजविज्ञान भ्रौर श्रन्यान्य विज्ञान जीवन तथा उसको जन्मस्थलो एवं कर्मस्थली, इस सृष्टि को व्याख्या अपने अपने ढंग से एवं अ्रपनी-प्रपनी विधि से करते है उन सबकी श्रलग-म्रलग उपलब्धि जीवन के भिन्न-भिन्न पहलुओं या पत्तों का उद्घाटन करने तक सोमित हैँ । दर्शन शास्त्र का एक उद्देश्य यह भी ह कि उक्त विज्ञान-शाखाझ्रो में सामंजस्य स्थापित करके उन्हें एक सूत्र में ग्रथित किया जाय । इस दृष्टि से दर्शन भी एक विज्ञान हैं । दर्शन समस्त शास्त्रों का संग्राहक दशंनशास्व समस्त शस्त्रो या विद्याओं का सार, मूल, तत्त्व या संग्राहक हैं। उसमे ब्रह्मविद्या, श्रात्मविद्या या पराविद्या (मेटाफिजिक या फिलॉसोफी प्रापर), श्रध्यात्मविद्या, चित्तविद्या ঘা श्रन्त.करणशास्त्र (सायकॉलोजी या दि सायंस आफ माइड), तक या न्याय (लोजिक या दि सास भ्रोफ रीजनिंग), आचारशास्त्र या धर्ममीमासा (एथिक्स या दि सायंस ऑफ काडक्ट), और सौन्दर्यशास्त्र या कलाशास्त्र (ईस्थेटिक्स या दि सायंस श्रॉफ গান) आदि सभी विपयो का परिपूर्ण शिक्षण-परीक्षण प्रस्तुत किया गया है । इस दृष्टि से भारतीय और यूरोपीय दर्शनो का परस्पर समन्वय भी देखने को मिलता है । दर्शनशास्त्र के इसी सर्वसंग्रही स्वरूप को लद्दय करके प्रौढ़ दार्शनिक भारतरत्न




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